आतंकी नसरल्लाह की मौत पर सीरिया में जश्न, लेकिन भारतीय मुस्लिमों में मातम, आखिर क्यों?

आतंकी नसरल्लाह की मौत पर सीरिया में जश्न, लेकिन भारतीय मुस्लिमों में मातम, आखिर क्यों?
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श्रीनगर: लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत की खबर ने एक्सेस ऑफ रेसिस्टेंस, ईरान और दुनियाभर में फिलिस्तीन के समर्थकों के बीच दुख और आक्रोश पैदा कर दिया है। नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान, इराक, वेस्ट बैंक और भारत के कश्मीर में भी लोग सड़कों पर उतर आए और इजरायल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपने गुस्से का इज़हार किया।

 

कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के वरिष्ठ नेता आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने हिजबुल्लाह नेता की हत्या पर शोक व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने इस दुखद खबर के बाद अपनी सभी चुनावी रैलियां रद्द कर दीं। जैसे ही हिजबुल्लाह ने शनिवार शाम हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की, श्रीनगर और बडगाम के कई इलाकों में लोग सड़कों पर उतर आए और इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हैं, ने अपनी राफियाबाद की चुनावी सभा रद्द कर दी और एक्स पर अपने अनुयायियों से माफी मांगते हुए लिखा, "राफियाबाद के प्यारे भाइयों, मैं आपसे मिलने आ रहा था, लेकिन एक बड़ी त्रासदी के कारण मुझे अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। मैं बहुत दुखी हूं। कृपया मुझे माफ करें कि मैं नहीं आ सका। मैं जल्द ही आपसे मिलूंगा।"

महबूबा मुफ्ती ने भी नसरल्लाह की मौत पर शोक जताते हुए अपने चुनावी कार्यक्रम रद्द किए। उन्होंने एक्स पर लिखा, "लेबनान और गाजा के शहीदों, विशेष रूप से हसन नसरल्लाह के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मैं अपना अभियान रद्द कर रही हूं। इस दुख की घड़ी में हम फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के साथ खड़े हैं।" महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देते हुए इजरायल को हत्यारा बताया और शोक प्रकट किया।

 

लेकिन यह सवाल उठता है कि जहां आतंकी नसरल्लाह की मौत पर लेबनान का पड़ोसी देश सीरिया जश्न मना रहा है, मिठाइयां बांट रहा है, वहीं हज़ारों किलोमीटर दूर भारत के कश्मीर में उसके प्रति सहानुभूति क्यों दिखाई जा रही है? सीरिया के मुसलमान, जो नसरल्लाह और हिजबुल्लाह के अत्याचारों का शिकार हुए हैं, इसे एक न्यायपूर्ण अंत मान रहे हैं। सीरियाई लोगों का कहना है कि हिजबुल्लाह ने उनके देश में हजारों निर्दोष नागरिकों को मारा था, और अब नसरल्लाह को अपने कर्मों का फल मिल गया है।

यह समझ से परे है कि भारतीय मुसलमान, खासकर कश्मीर में, क्यों एक आतंकी के प्रति शोक व्यक्त कर रहे हैं। क्या वे सिर्फ इसलिए दुखी हैं क्योंकि नसरल्लाह एक मुसलमान था? लेकिन मुसलमान तो सीरिया में भी हैं, पर उन्होंने नसरल्लाह का असली चेहरा देख लिया था, जो शायद भारतीय मुसलमानों को नहीं दिखा।

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