चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रशासनिक अधिकारियों से पूछा है कि वे राज्य को आवंटित 8000 करोड़ रुपए की अप्रयुक्त धनराशि को ख़त्म होने से कैसे रोकेंगे। गौरतलब है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने चालू वित्त वर्ष में केंद्र द्वारा विभिन्न विभागों को दिए गए 11000 करोड़ रुपए के अनुदान में से केवल 3000 करोड़ रुपये का ही इस्तेमाल किया है। राज्य सरकार अब तक शेष 8000 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाई है। बता दें कि, केंद्र से ये पैसा विकास कार्यों में लगाने के लिए पंजाब सरकार को दिया गया था, लेकिन उसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया है और वहीं दूसरी तरफ मान सरकार ने केंद्र के खिलाफ दूसरा फंड जारी न करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा रखी है।
सीएम मान ने अपने आवास पर सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों के साथ इस संबंध में बैठक की। जिसमे मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि अधिकारियों ने 8,000 करोड़ रुपए को केंद्र के पास वापस जाने से बचाने की योजना कैसे बनाई। रिपोर्ट में कहा गया है कि सचिवों ने सीएम मान को सूचित किया कि वे मौजूदा वित्त वर्ष के अगले चार महीनों के भीतर धन का इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे, क्योंकि अधिकांश कार्यों के लिए निविदा प्रक्रियाएं पहले ही खोली जा चुकी हैं और कई मामलों में काम पहले ही हो चुका है। दरअसल, अगर ये पैसा अगले बजट तक इस्तेमाल नहीं किया गया, तो पंजाब के विकास के लिए दिया गया ये पैसा वापस केंद्र सरकार को चला जाएगा और लगभग 3-4 महीने बाद ही पंजाब का बजट भी पारित होने वाला है। यानी भगवंत मान सरकार के 8 महीने गुजर चुके हैं और 4 महीने बचे हैं, इसलिए सरकार किसी भी तरह इस पैसे को इस्तेमाल कर लेना चाहती है, ताकि वो वापस केंद्र को न लौटे।
सूत्रों के अनुसार, सीएम मान ने सचिवों से कमर कसने और उन परियोजनाओं में तेजी लाने को कहा जहां यह पैसा खर्च किया जाना है। सचिवों को जल्द से जल्द अनुदान का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने के लिए सीएम द्वारा बैठक बुलाई गई थी। सचिवों ने सीएम को बताया कि उन्हें कई योजनाओं के तहत केंद्रीय राशि नहीं मिल रही है। अधिकारियों ने यह भी दोहराया कि केंद्र ने अभी तक ग्रामीण विकास शुल्क (RDF) का भुगतान नहीं किया है, बाढ़ से क्षतिग्रस्त ग्रामीण सड़कों की मरम्मत का काम बुरी तरह बाधित हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अपने स्वास्थ्य केंद्रों को आम आदमी क्लीनिक कहने के कारण केंद्र द्वारा स्वास्थ्य योजनाओं के लिए मिलने वाला अनुदान भी रोका जा रहा है। गौरतलब है कि पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने भी पिछले महीने इसी तरह का दावा करते हुए कहा था कि केंद्र ने राज्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि के हिस्से के रूप में 621 करोड़ रुपये रोक दिए हैं। उन्होंने दावा किया था कि चूंकि राज्य सरकार ने अपने 'मोहल्ला क्लीनिक' का नाम आम आदमी क्लीनिक रखा है, इसलिए केंद्र फंड जारी नहीं कर रहा है।
हालाँकि, केंद्र सरकार ने कहा था कि AAP सरकार की हरकतें आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (AB-HWC) योजना के संबंध में ब्रांडिंग मानदंडों का उल्लंघन थीं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि AB-HWC को केंद्र और राज्य द्वारा 60:40 योगदान अनुपात के साथ तैयार किया गया है। कथित तौर पर, सीएम भगवंत मान ने केंद्र द्वारा रोके गए फंड के बारे में सचिवों के साथ चर्चा करने के लिए एक और बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री अब इस बात पर रणनीति तैयार करेंगे कि केंद्र से इस तरह का फंड कैसे हासिल किया जाए। विशेष रूप से, पंजाब सरकार पहले ही 5,637 करोड़ रुपये की ग्रामीण विकास निधि (RDF) देने से केंद्र के इनकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुकी है। एक ओर, पंजाब सरकार धन को लेकर केंद्र के साथ उलझी हुई है, दूसरी ओर केंद्र द्वारा आवंटित धनराशि में से लगभग 8000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जिसके लिए योजनाएं बनाई जा रहीं हैं।