नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सिक्किम के नेपाली समुदाय का ‘अप्रवासी’ के तौर पर उल्लेख करने वाली सर्वोच्च न्यायालय की कुछ विवादित टिप्पणियों के खिलाफ सोमवार (6 फ़रवरी) को एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. शीर्ष अदालत में गृह मंत्रालय ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए पुराने फैसले पर विचार करने की मांग की है. यही नहीं केंद्र सरकार ने सिक्किम की पहचान की रक्षा करने वाले संविधान के अनुच्छेद 371F के बारे में अपनी स्थिति दोहराते हुए कहा कि इसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए.
अदालत में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि सिक्किम में बसे विदेशी मूल के व्यक्तियों जैसे नेपालियों के संबंध में उक्त आदेश में अवलोकन की समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि उक्त व्यक्ति नेपाली मूल के सिक्किमी हैं. 13 जनवरी को सिक्किम के निवासियों को इनकम टैक्स में रियायत प्रदान करने से संबंधित एक याचिका पर फैसला देते हुए शीर्ष अदालत ने नेपाली मूल के लोगों को अप्रवासी के रूप में उल्लेखित किया था, जो सिक्किम में आकर बस गए थे. सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से सिक्किम की सियासत में खलबली मच गई और नेपाल मूल के लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए. बता दें कि शीर्ष अदालत ने 13 जनवरी 2023 के अपने आदेश में केंद्र सरकार को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 (26AAA) में ‘सिक्किम’ की परिभाषा में बदलाव करने का निर्देश दिया था, जिसमें 26 अप्रैल, 1975 की विलय की तारीख को या उससे पहले सिक्किम में अधिवासित सभी भारतीय नागरिकों को आयकर में रियायत प्रदान की गई थी.
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री के ऑफिस ने अपने ट्वीट में कहा कि, ‘गृह मंत्रालय ने ‘एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम एंड अदर्स’ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 2013 और 2021 की दो याचिकाओं पर 13 जनवरी, 2023 के हालिया फैसले में कुछ टिप्पणियों और निर्देशों के खिलाफ कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 371एफ की सर्वोपरिता के संबंध में अपना रुख दोहराया है, जो सिक्किम निवासियों की पहचान की रक्षा करता है, जिसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए. ट्वीट में आगे कहा गया है कि,’ उक्त आदेश में सिक्किम में बसे विदेशी मूल के लोगों जैसे नेपालियों के संबंध में टिप्पणी की समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि वे लोग नेपाली मूल के सिक्किम के नागरिक हैं.
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