नई दिल्ली: देश में पुरानी पेंशन और नई पेंशन योजना (Pension Scheme) को लेकर सरकार एवं विपक्षी दलों के बीच खींचतान देखने को मिल रही है। प्रत्येक गैर-भाजपा शासित राज्यों में विपक्ष ये मुद्दा उछाल रहा है। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन को बड़ा मुद्दा बनाया था तथा सरकार बनने के पश्चात् इसे लागू करने की घोषणा भी कर दी है। अब शुक्रवार को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त सचिव के नेतृत्व में एक समिति बनाई जाएगी। यह समिति नई पेंशन स्कीम का रिव्यू करेगी। निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में फाइनेंस बिल पेश किया तथा हंगामें के बीच ही इस पर वोटिंग हुई। लोकसभा में फाइनेंस बिल को पास करा लिया गया। देश में एक जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन योजना लागू है। दोनों पेंशन के कुछ फायदे एवं कुछ नुकसान भी हैं। पुरानी पेंशन योजना के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के तौर पर दी जाती है। क्योंकि पुरानी योजना में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की अंतिम बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक होता है। इसके अतिरिक्त पुरानी पेंशन योजना में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है।
पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के जरिए होता है। सबसे विशेष बात पुरानी पेंशन योजना में प्रत्येक 6 माह पश्चात् मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू करती है, तो भी इससे पेंशन (Pension) में वृद्धि होती है। वही नई पेंशन योजना पर रिटर्न अच्छा रहा तो प्रोविडेंट फंड और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के वक़्त अच्छा पैसा मिल सकता है। क्योंकि ये शेयर बाजार पर निर्भर रहता है। किन्तु कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है।
PM मोदी ने काशी को दी 18 अरब की सौगात, इन परियोजनाओं का किया शिलान्यास