कोलकता: पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव में केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। शीर्ष अदालत ने आज मंगलवार (20 जून) को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले में दखल देने से साफ़ इनकार कर दिया है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और राज्य चुनाव आयोग की याचिका भी खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की वैकेशनल बेंच ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा कि, बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। कोर्ट ने कहा कि, हिंसा के साथ चुनाव नहीं हो सकते। राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग को सेंट्रल फोर्स की तैनाती पर क्या आपत्ति है। शीर्ष अदालत ने राज्य चुनाव आयोग से कहा कि, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना आपकी जिम्मेदारी है। फोर्स कहां से आएगी, इसकी फ़िक्र आपको नहीं करनी है। ऐसे में आपकी याचिका तो सुनने योग्य ही नहीं है। न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी।
बता दें कि, पंचायत चुनाव का ऐलान होने के बाद से ही बंगाल में लगातार हिंसा हो रही है, राज्य में अब तक अलग-अलग सियासी दलों के 7 नेता-कार्यकर्ता की हत्या हो चुकी है। वहीं, ममता सरकार राज्य में लगातार हिंसा होने के बावजूद केंद्रीय बलों की तैनाती का विरोध कर रही हैं। इसके लिए ही उन्होंने कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां से ममता सरकार को बड़ा झटका लगा है और अब बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है।
ट्रक और ऑटो की भिड़ंत में 3 की मौत, मृतकों में एक माँ-बेटी भी शामिल
'सिंधिया को मुर्गा तो नरोत्तम मिश्रा को कह दिया मच्छर', इस कांग्रेस नेता के बिगड़े बोल
मणिपुर हिंसा: कुकी जनजाति को आर्मी प्रोटेक्शन देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में 3 जुलाई को होगी सुनवाई