नई दिल्लीः फंड की कमी से जूझ रही सरकार धनराशि जुटाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। देश में मंदी के चलते सरकार पर दवाब है कि वह बाजार में पैसा डाले और विकास कार्यों को बढ़ावा दे। मगर इसके लिए सरकार को भारी नकद की जरूरत है। सरकार की नजर बंद हो चुके करीब 57 कंपनियों पर है। जिन पीएसयू को निजी हाथों में सौंपा जाना है, उनकी पहचान कर नीति आयोग ने उनके नाम सरकार को सौंप दिए हैं और कैबिनेट इसमें से 26 पीएसयू को बेचने (स्ट्रेटजिक डिसइन्वेस्टमेंट) की मंजूरी भी दे चुकी है।
कहा जा रहा है कि सरकार खजाना भरने के लिए पीएसयू के निजीकरण की प्रक्रिया तेज कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि जिन पीएसयू का स्ट्रेटजिक डिसइन्वेस्टमेंट किया जाना है, उनकी छह सूची नीति आयोग ने सरकार को सौंपी है। ताजा सूची में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया व कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सहित कुल 11 पीएसयू शामिल हैं। इससे पूर्व आयोग पांच सूची सरकार को सौंप कर एयर इंडिया सहित कुल 46 पीएसयू को बेचने की सिफारिश कर चुका है जिसमें से 26 पीएसयू के स्टेटजिक डिसइन्वेस्टमेंट को हरी झंडी सरकार दे चुकी है।
सूत्रों ने बताया कि लंबित आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार अब निजीकरण पर जोर देगी। निकट के सालों में जीएसटी का क्रियान्वयन और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के रूप में सरकार ने कई अहम सुधार किए हैं। ऐसी स्थिति में सरकार अब निजीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए अप्रासंगिक हो चुके पीएसयू की पहचान करने में जुटी है ताकि इन्हें बेचा जा सके। सरकार का लक्ष्य विनिवेश के जरिए 1,05,000 करोड़ रुपये जुटाने का टारगेट है।
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