नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि वह केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये देगी। आरबीआई यह राशि अपने सरप्लस रिजर्व में से देगी। आरबीआई के इस ऐलान के बाद से ही तमाम तरह की बातें चलने लगीं। जानकार बताते हैं कि आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। इस फैसले से सरकार को सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई बोर्ड ने सोमवार को 1,76,051 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देने की मंजूरी दी।
यह सिफारिश पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने की थी। मगर, आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल इसके खिलाफ थे। इसी वजह से उन्होंने और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस्तीफा दे दिया था। आरबीआई 2013-14 के बाद से अपनी डिस्पोजेबल इनकम (खर्च करने लायक फंड) का 99% सरकार को देता आ रहा है। जहां तक डिविडेंड का सवाल है तो 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये में से 28,000 करोड़ रुपये मार्च में ही अंतरिम डिविडेंड के तौर पर सरकार को दिए जा चुके हैं।
मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार को 95,414 करोड़ रुपये डिविडेंड मिलना तय है। यह 1.76 लाख करोड़ के सरप्लस फंड के अलावा होगा। पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने सरकार के कदम का विरोध करते वक्त अर्जेंटीना का उदाहरण दिया था। 6.6 बिलियन डॉलर सरकार को देने के दबाव में अर्जेंटीना सेंट्रल बैंक के गर्वनर मार्टिन रेडरेडो ने भी इस्तीफा दे दिया था। बाद में सरकार को फंड मिल गया। इसके कुछ महीने बाद ही अर्जेंटीना के बॉन्ड, करेंसी और स्टॉक मार्केट धराशायी हो गए। सरकार यह पैसा तीन से पांच साल के बीच में मिलेगा। कॉन्टिजेंसी फंड, करेंसी तथा गोल्ड रवैल्यूएशन अकाउंट को मिलाकर आरबीआई के पास 9.2 लाख करोड़ रुपये का रिजर्व है, जो केंद्रीय बैंक के टोटल बैलेंस शीट साइज का 25 फीसदी है।
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