देश में पुराने गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग हमेशा से होती रही है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार शुक्रवार को कबाड़ नीति लाई जा सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि ऐसा होता है तो प्रदूषण फैलान वाले करीब तीन करोड़ वाहन सड़कों पर नहीं दिखाई दें पाएंगे।
तय होगा वाहनों की उम्र - सरकार यदि कबाड़ नीति लाती है तो वाहनों की उम्र तय की जा सकती है। इसका आकलन वर्ष के आधार पर ही संभव हो सकता है। क्योंकि मीटर के अनुसार कई तरह की गड़बडियां हो जाती हैं या किए जाने की संभावना हो सकती है।
आखिर क्यों जरूरी है खटारा वाहनों को बैन करना - देश के बहुत से राज्य वायु प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। इसकी एक वजह कबाड़ गाड़ियों का सड़कों पर दौड़ते रहना भी है। खटारा हो चुके वाहन जहरीला धुआं छोड़ते जाते हैं। इसीलिए इन्हें बैन करना जरूरी हो सकता है।
फायदा क्या होगा - विशेषज्ञों की मान लें तो यदि ये वाहन बैन होते हैं तो कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन में करीब 17 फीसदी की कमी आ सकती है। इससे लगभग 24 फीसदी तक प्रदूषित कण कम पैदा हों सकते है। यहीं नहीं, पुराने वाहन यदि बैन होने पर नए वाहनों की खरीदारी बढ़ सकती है, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक बार फिर उछाल देखने को मिल जायेगा।
अन्य देशों में क्या है नियम - अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों ने अपने यहां कबाड़ नीति को लागू कर दिया है। अमेरिका में 7.7 किलोमीटर प्रतिलीटर से कम माइलेज देने वाले वाहनों को खटारा बताया जा रहा है। इन वाहनों को यदि कबाड़ में दिया जाए तो उसके मालिक को करीब चार लाख रुपये मिलते हैं।
ब्रिटेन और चीन में क्या है नियम - ब्रिटेन में पुरानी गाड़ियों के बदले नए गाडी लेने पर करीब दो हजार पौंड यानि करीब पौने दो लाख रुपये तक की राशि वाहन मालिकों को दी जाएगी। एक तरफ, चीन की सरकार अब तक लगभग चार लाख खटारा वाहनों को हटा चुकी है। जानकारी ले लिए बता दें कि चीन भी देश में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को लेकर काफी परेशानी है, जिसके बाद उसने यह कदम उठाया है।
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