नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर दिया है. शीर्ष अदालत में दायर किए गए अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य अपने नियमों के मुताबिक, संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में मान्यता दे सकते हैं.
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि जहां हिंदू या अन्य समुदाय जो अल्पसंख्यक हैं, वो राज्य उन समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं. इसके माध्यम से वो अपने शिक्षा संस्थान आदि संचालित कर सकते है. केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र और कर्नाटक की मिसाल देते हुए कहा जैसे कि महाराष्ट्र ने 2016 में यहूदियों के लिए धार्मिक और कर्नाटक ने उर्दू, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, लमानी, हिंदी, कोंकणी, और गुजराती को भाषाई आधार पर उन्हें अल्प संख्यक घोषित किया है, अन्य राज्यों में भी ऐसा कर सकते है. अब इस मामले में आज फिर सोमवार को सुनवाई होगी.
दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय में अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा एक याचिका दायर की गई है. उन्होंने अपनी याचिका में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है. उपाध्याय ने अपनी याचिका में धारा-2(एफ) की वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार को अकूत शक्ति देती है जो ‘स्पष्ट तौर पर मनमाना, अतार्किक और आहत करने वाला है.’ याचिकाकर्ता ने देश के विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने के निर्देश देने की मांग की है. उनकी यह दलील है कि देश के कम से कम 10 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, मगर उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का फायदा नहीं मिल पाता.
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