नई दिल्ली: इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) पर प्रतिबंध जारी रहेगा. गृह मंत्रालय की ओर से लगाए गए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) को बरकरार रखा गया है. भारत के गृह मंत्रालय ने IRF को एक गैरकानूनी संघ घोषित कर रखा है. केंद्र सरकार ने IPC, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और UAPA, 1967 के प्रावधानों के तहत जाकिर नाइक और IRF के अन्य सदस्यों के खिलाफ दर्ज किए गए विभिन्न मामलों से जुड़ी जानकारी के आधार पर IRF पर बैन लगा दिया.
केंद्र सरकार ने पाया कि IRF संस्थापक और चीफ जाकिर नाइक अपने अनुयायियों को धर्म, वैमनस्य या दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना की भावनाओं के आधार पर बढ़ावा देने या बढ़ावा देने की कोशिश करने के लिए प्रोत्साहित और मदद कर रहा था. केंद्र ने यह भी देखा कि 2016 में मलेशिया भाग जाने के बाद भी जाकिर नाइक ने अपने अनुयायियों तक पहुंचना जारी रखा. सोशल मीडिया पर वीडियो और पोस्ट के जरिए अपनी कट्टरपंथी सोच का प्रचार किया. विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच घृणा और दुश्मनी को बढ़ावा दिया. युवाओं के जबरन धर्मांतरण में लिप्त रहा. यही नहीं ज़ाकिर ने हिंदू समुदाय, हिंदू देवताओं और अन्य धर्मों के खिलाफ अभद्र बयान भी दिया था.
इसके साथ ही यह जानकारी भी मिली है कि केंद्र सरकार, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर भी बैन लगाने को लेकर विचार कर रहा है. देश में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों में PFI का हाथ होने की जांच सुरक्षा एजेंसियां कर रही हैं. मध्य प्रदेश भाजपा के नेता वीडी शर्मा ने राज्य के खरगोन में भड़की हिंसा में PFI की भूमिका होने की बात कही थी. उत्तर प्रदेश पहले ही केंद्र सरकार से PFI को प्रतिबंधित करने की मांग कर चुका है. बता दें कि PFI भारत में इस्लाम के तालिबानी संस्करण को थोपना चाहता है. यह उदारवादी मुस्लिम संगठनों को हटाना चाहता है. PFI में IED बम बनाने और जमीनी स्तर पर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए प्रशिक्षक मौजूद हैं. PFI नेतृत्व अक्सर हज के नाम पर खाड़ी देशों की यात्रा करता रहता है, मगर इसका असल उद्देश्य फंड इकट्ठा करना है. जिसका उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों में ही अधिक होता है.
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