नई दिल्ली: संसद में विपक्षी दल के सदस्यों द्वारा बजट सत्र पर चर्चा के दौरान बेरोजगारी का भी मुद्दा उठाया गया। क्योंकि बेरोजगारी के बीच खुदकुशियों के मामलों में भी भारी इजाफा हुआ था। ऐसे में केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि कोरोना महामारी की पहली लहर यानी 2020 में बेरोजगारों की ख़ुदकुशी का आंकड़ा पहली दफा 3000 का आंकड़ा पार गया।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को उच्च सदन में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि महामारी के प्रथम वर्ष 2020 में बेरोजगारी की वजह से देश में 3,548 लोगों ने ख़ुदकुशी की है। बता दें कि, वर्ष 2020 में देश में लगभग 1.53 लाख केस दर्ज किए गए थे, जिनकी संख्या वर्ष 2019 में 1.39 लाख के करीब थी। उच्च सदन में दिए गए लिखित जवाब में नित्यानंद राय ने जानकारी दी है कि देश में कर्ज और दिवालियापन की वजहों से वर्ष 2018 से 2020 के बीच ख़ुदकुशी के 16,091 केस रिपोर्ट किए गए थे। जिनमें से 2018 में 4,970 केस, वर्ष 2019 में 5,908 तो वहीं साल 2020 में 5,213 खुदकुशी के केस दर्ज किए गए थे।
NCRB के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में कर्नाटक (720), महाराष्ट्र (625), तमिलनाडु (336), असम (234), और उत्तर प्रदेश (227) में बेरोजगारी के कारण ख़ुदकुशी के केस दर्ज किए गए थे। वहीं साल 2020 में कर्ज व दिवालियापन की वजह से हुई आत्महत्याओं में महाराष्ट्र का नाम 1,341 मौतों के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर रहा था। महाराष्ट्र के बाद इस सूची में कर्नाटक (1,025), तेलंगाना (947), आंध्रप्रदेश (782) और तमिलनाडु (524) का नंबर था।
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