नई दिल्ली: प्रवासी श्रमिकों के मसले पर सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई शुरू कर दी है. सरकार की तरफ से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ खास जगहों पर कुछ वाकये हुए जिससे श्रमिकों को तकलीफ उठानी पड़ी. हम शुक्रगुजार हैं कि आपने इस मामले में संज्ञान लिया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने श्रमिकों के लिए सैकड़ों ट्रेन भी चलाई. उनके लिए खाने-पीने का बजट बनाकर राशि भी उपलब्ध कराई. इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार ने तो कोशिश की है, किन्तु राज्य सरकारों के माध्यम से जरूरतमंद मजदूरों तक चीजें सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दो वजहों से लॉकडाउन लागू किया गया था. पहला तो कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए और दूसरा अस्पतालों में समुचित इंतजाम कर लेने के लिए. जब मजदूरों ने लाखों की संख्या में देश के हिस्सों से अचानक पलायन शुरू किया तो उनको दो वजहों से रोकना पड़ा.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से हुए कहा कि पहला कारण तो प्रवासियों को रोककर संक्रमण को शहरों से गांवों तक फैलने से रोकना था. दूसरा कारण ये था कि प्रवासी रास्ते में ही एक-दूसरे को संक्रमित ना कर पाएं. सरकार ने अब तक 3700 से अधिक श्रमिक एक्सप्रेस विशेष ट्रेन चलाई हैं. ये गाड़ियां तब तक चलेंगी जब तक एक भी प्रवासी जाने के लिए तैयार रहेगा.
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