कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सात वर्षीय बच्चे की सूझबूझ से बड़ा ट्रेन हादसा होते-होते बच गया. दक्षिण 24 परगना के मुकुंदपुर का रहने वाला दूसरी कक्षा का छात्र दीप नस्कर (Deep Naskar) अपने घर के सामने से गुजर रही रेल लाइन के पास खेल रहा था, किन्तु उसकी सूझबूझ के चलते एक बड़ा रेल हादसा टल गया. इस पर केंद्रीय राज्य मंत्री सुभाष सरकार (Dr Subhas Sircar) ने उसे बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उसकी समझ और कोशिश की प्रशंसा की है.
The sense of responsibility and presence of mind of a 7 year old boy named Deep Naskar, saved the lives of hundreds of people by stopping the Canning Local at Bidyadharpur.
— Dr. Subhas Sarkar (@Drsubhassarkar) August 5, 2021
I am thankful to him and wish him best in his future endeavors. pic.twitter.com/k8A1B1kidS
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने आज ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'दीप नस्कर नामक एक 7 साल के बच्चे ने अपने प्रजेंस ऑफ माइंड और जिम्मेदारी के साथ के विद्याधरपुर में कैनिंग लोकल को रोककर सैकड़ों लोगों की जान बचाई है. मैं उसका आभारी हूं और उसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं. यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लक्षित समग्र शिक्षा की एक सच्ची मिसाल है.' सियालदह के DRM एसपी सिंह ने बताया कि, ‘जिस रेलवे ट्रैक में दरार पड़ी थी, वह वेल्डिंग की हुई थी, जो खुल गई थी. उस बच्चे के कारण ट्रेन हादसे का शिकार होने से बच गई। मैंने रेलवे कर्मचारियों से उस बच्चे के परिवार से संपर्क करने के लिए कहा है. उसने काफी बड़ा काम किया है. उसे 5,000 रुपये का इनाम दिया जाएगा. बच्चे का उत्साह बढ़ाने के लिए रेलवे की ओर से भी कदम उठाया जाएगा.'
क्या हुआ था उस दिन :-
बता दें कि उस दिन रेलवे ट्रैक के पास खेल रहे दीप नस्कर की निगाह अचानक रेललाइन में पड़े दरार पर पड़ी. खतरे को भांपकर दीप फ़ौरन घर की ओर भागा और अपनी मां सोनाली नस्कर को यह बात बताई. सोनाली ने भी देर न करते हुए आसपास के लोगों को इसकी सूचना दी. इसके बाद वे सभी लाल कपडे़ लेकर रेलवे ट्रैक पर आ गए. कुछ देर बाद वहां से सियालदहगामी कैनिंग स्टाफ स्पेशल ट्रेन निकलने वाली थी. ट्रेन को आता देख जितने लोग वहां खड़े थे, सभी लोग समझदारी का परिचय देते हुए ट्रेन को रोकने के लिए लाल कपड़ा हाथ में लेकर हिलाने लगे. ट्रेन ड्राइवर ने दूर से लोगों को लाल कपड़ा हिलाते देख लिया और ट्रेन रोक दी. इसके बाद विद्याधरपुर बुकिंग सुपरवाइजर से संपर्क किया गया. वहां से इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारी पहुंचे और ट्रैक की मरम्मत शुरू की. 40 मिनट तक ट्रैक की मरम्मत करने के बाद ट्रेन को रवाना किया गया.
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