एक और हर दिन देश के हर प्रदेश से किसान के फंदे पर झूलने और जहर पी लेने की खबरें आ रही है. वही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु इस बात से आँखे मूंद कर सिर्फ अपनी सरकार की वाहवाही में लगे है. उनका कहना है कि किसानों की मौत एक पुरानी समस्या है और उनकी परेशानियों को कम करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं. सुरेश प्रभु ने शायद ये बयान देने से पहले इसी सप्ताह के अख़बार नहीं पड़े जिनमे उन्हें इस बयान की पोल खोलती कई खबरें देश के हर राज्य से मिल जाती. उन्होंने उन आकड़ों पर भी गौर करना जरुरी नहीं समझा जिन्होंने पिछले चार साल में वो भयावह रूप लिया है जो पहले कभी नहीं था.
प्रभु ने कहा कि मोदी सरकार ने किसान हितैषी कई कदम उठाए हैं. इनमें, उनके उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), कृषि कर्ज से राहत और फसल बीमा योजना की घोषणा शामिल है. मंत्री ने कहा कि किसानों की मौत हो रही है, यह एक सच्चाई है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि यह एक पुरानी समस्या है जो कई वर्षो से चली आ रही है. प्रभु ने फिर उन 70 साल की बात कर खुद की सरकार की नाकामयाबी को छुपाने का प्रयास भी किया जिसे लेकर नीति आयोग तक सरकार को आगाह कर चूका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ के पुल बांधते हुए प्रभु ने कहा कि लोकतांत्रिक रूप से चुना गया ऐसा कोई दूसरा राष्ट्र प्रमुख आपको नहीं मिलेगा जो अपने कार्यकाल के पांचवें वर्ष में इतना लोकप्रिय हो. प्रभु किसानों की आत्महत्या को पुरानी बात कहने से पहले हाल ही में सड़कों पर उतरे किसानों को भूल गए जो पहले कभी आंदोलन की राह पर नहीं थे. वे देशभर के उन किसानों को भी भूल गए जिनको मप्र के मंदसौर में सरकार के खिलाफ खड़ा होना पड़ा और सरकारी गोलियों ने पांच बेकसूर किसानों की जान ली. वे ये भी भूल गए की किसानों पर गोली चलाने वालो को क्लीन चिट भी दे दी गई.
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