कांच ही बांस के बहंगिया... बहंगी लचकत जाए... होख न सुरुज देव सहइया, बहंगी घाट पहुंचाए... आप सभी जानते ही होंगे कि बिहार में चैती छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नौ अप्रैल से शुरू होने वाला है. ऐसे में नहाय-खाए से व्रती अनुष्ठान का संकल्प लेंगे और भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ अनुष्ठान संपन्न होगा. ऐसे में इस दिन को सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. कहते हैं हिन्दू नववर्ष के पहले महीने चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ महापर्व मनाया जाता है और यह सूर्य उपासना का पर्व है.
ऐसे में भगवान भास्कर की उपासना से आरोग्यता, संतान व मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. कहा जाता है छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है और यह वैदिक मान्यता है कि नहाय-खाय से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं. कहा जाता है नहाय-खाय में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व है और वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है तो वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत हो जाता है. तो आइए जानते हैं महापर्व के प्रमुख दिन.
नहाय-खाए : नौ अप्रैल
खरना-लोहंडा : 10 अप्रैल
सायंकालीन अर्घ्य : 11 अप्रैल
प्रात:कालीन अर्घ्य : 12 अप्रैल
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