शिमला: देश के राज्य हिमाचल के शहर चंबा एडमिनिस्ट्रेशन की एक और करतूत सामने आई है. बीते वर्ष मिंजर मेले के चलते बाहरी प्रदेशों से आए उद्यमियों को फ्री में स्टॉल लगा गोल गप्पे तथा चाट पापड़ी विक्रय कर लाखों कमा कर चले गए. ऐसे में 10 स्टॉल बेचकर होने वाली कमाई से न तो जिला एडमिनिस्ट्रेशन के हाथ फूटी कौड़ी आई तथा न ही स्थानीय उद्यमियों को इसका मुनाफा मिला. सूचना के अधिकार के तहत ली गई सुचना में चंबा शहर एडमिनिस्ट्रेशन की इस कारगुजारी का खुलासा हुआ है.
प्रत्येक साल बाहरी प्रदेशों से मेला लगाने के लिए पहुंचने वाले हलवाई हजारों के स्टॉल खरीदकर भी मोटी कमाई करते हैं, किन्तु उत्तर इलाके सांस्कृतिक केंद्र तथा जिला एडमिनिस्ट्रेशन ने तिकड़म लगाते हुए, हलवाइयों को मुफ्त में ही स्टॉल दे दिए. मुफ्त आवंटित स्टॉलों के बारे में चंबा के चित्रकार तथा आरटीआई कार्यकर्ता पद्मश्री विजय शर्मा ने जिला एडमिनिस्ट्रेशन से सुचना मांगी कि बाहरी प्रदेशों से आए हलवाइयों को आवंटित स्टॉलों से मेला समिति की कितनी आमदनी हुई.
चम्बा कलेक्टर ने आग्रह एसडीएम के पास भेजा. एसडीएम ने बताया कि चौगान नंबर 1 में स्टॉल बनाने वाले ठेकेदार को ही स्टॉल प्रदान कर दिए गए. तत्पश्चात ठेकेदार ने आगे किसे स्टाल आवंटित किए, उन्हें इसकी सुचना नहीं है. आरटीआई कार्यकर्ता ने उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला से सुचना मांगी कि उन्होंने प्रमुख चौगान में कितने रुपयों में स्टाल क्रय किये? लिखित में इसके नियम एवं शर्तों की जानकारी दी जाए. इस पर उन्हें उत्तर मिला कि उन्हें ये 10 स्टाल जिला एडमिनिस्ट्रेशन ने मुफ्त दिए थे, तथा केंद्र ने ये स्टाल आगे हलवाइयों को निशुल्क में प्रदान किये है. वही अब पुरे मामले का निरिक्षण किया जा रहा है.
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