झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ आया है जब वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चाचा और पूर्व मंत्री चंपई सोरेन ने बगावती रुख अपनाते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से अलग होने के संकेत दिए हैं। चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखकर अपने साथ हुए अपमानजनक व्यवहार का जिक्र किया है।
जनसेवा और आदिवासियों के हक की लड़ाई
अपने पोस्ट में चंपई सोरेन ने अपने सार्वजनिक जीवन और राजनीति की शुरुआत के बारे में बताया। उन्होंने लिखा, "अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है। राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं।"
उन्होंने यह भी कहा कि चाहे वह किसी पद पर रहे हों या नहीं, उन्होंने हमेशा जनता के लिए खुद को उपलब्ध रखा और उनके मुद्दों को उठाया। उनका लक्ष्य हमेशा झारखंड के लोगों के बेहतर भविष्य के सपने को साकार करना रहा है।
सत्ता में आने के बाद सेवा का संकल्प
चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, "जब सत्ता मिली, तब बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे वीरों को नमन कर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था। झारखंड का बच्चा-बच्चा जानता है कि अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने कभी भी, किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया।"
एक बात और, यह मेरा निजी संघर्ष है इसलिए इसमें पार्टी के किसी सदस्य को शामिल करने अथवा संगठन को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। जिस पार्टी को हमने अपने खून-पसीने से सींचा है, उसका नुकसान करने के बारे में तो कभी सोच भी नहीं सकते।
— Champai Soren (@ChampaiSoren) August 18, 2024
लेकिन, हालात ऐसे बना दिए…
कार्यक्रमों के रद्द होने से आहत
अपने साथ हुए अपमानजनक व्यवहार का जिक्र करते हुए चंपई सोरेन ने बताया कि हूल दिवस के अगले दिन उन्हें पता चला कि उनके अगले दो दिनों के सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। इनमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था और दूसरा पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था।
जब उन्होंने इसके बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की बैठक बुलाई गई है और तब तक वे किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते। इस घटना से चंपई सोरेन काफी आहत हुए और उन्होंने इसे अपने सम्मान के खिलाफ माना।
जेएमएम से अलग होने के संकेत
चंपई सोरेन के इस पोस्ट के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वे जल्द ही जेएमएम से अलग हो सकते हैं और किसी अन्य पार्टी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि, अभी तक उन्होंने इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
झारखंड की राजनीति में नया मोड़
चंपई सोरेन का यह बगावती रुख झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। यदि वे जेएमएम से अलग होते हैं तो इससे पार्टी की स्थिति पर भी असर पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि चंपई सोरेन आगे क्या कदम उठाते हैं और इसका झारखंड की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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