किसी भी देव को प्रसन्न करने के लिए हमे उनकी आराधना करनी पड़ती है. देवी देवताओं की आराधना से ही हम अपना जीवन सुखी बना सकते हैं. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार कोई ना कोई दिन देवी देव के नाम होता है. ऐसे ही आज हम बात कर रहे हैं चंपक द्वादशी की बात कर रहे हैं जी निर्जला एकादशी के बाद मनाई जाती है. अगर आप नहीं जानते तो आइये हम आपको बता देते हैं उसके बारे में.
दरअसल, ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष द्वादशी को चंपक द्वादशी नाम से जाना जाता है जिस दिन भगवान कृष्णा की पूजा की जाती है और उन्हें चंपा के फूल चढ़ाये जाते हैं. श्री कृष्णा की चंपा के फूल अति प्रिय हैं और इस दिन उनका श्रृंगार करने से वो प्रसन्न होते हैं और आपको मन चाहा फल प्राप्त होता है. इनकी पूजा आप श्रद्धा के साथ करेंगे तो आपकी सभी इच्छा पूरी होंगी. आइये बता देते हैं कैसे करें उनकी पूजा.
सबसे पहले सुबह स्नान कर घर की शुद्ध जल से पवित्र करें और साथ ही पूजा की सामग्री लेकर थाल तैयार कर लें. थाल में कुमकुम, चंदन, चावल, धुप दीप जैसी रखें. साथ ही चंपा के फूलों को भी ले आएं जिससे हरी का पूजन होना है. उन्हें चंपा के फूलों की माला अर्पित करें. अगर चंपा के फूल आपके पास नहीं है तो आप उन्हें सफ़ेद फूलों की माला भी भेंट कर सकते हैं. इस तरह पूजन करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी और प्रसन्न रहेंगे.
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