चैंपियन ऑफ़ द अर्थ सम्मान, सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान- पीएम मोदी

चैंपियन ऑफ़ द अर्थ सम्मान, सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान- पीएम मोदी
Share:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े सम्मान चैंपियन ऑफ़ द अर्थ से नवाज़ा गया है. पीएम मोदी को ये पुरस्कार मिलने के बाद कई राजनेता उन्हें बधाई दे रहे हैं, भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को मिला चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड, हमारी दुनिया को एक स्वच्छ स्थान बनाने की दिशा में उनके नेतृत्व का उचित सम्मान है. वहीं पीएम मोदी ने इस सम्मान को देशवासियों के नाम बताते हुए कहा है कि ये सम्मान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिबद्धता का है, चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवॉर्ड, भारत की उस नित्य नूतन चीर पुरातन परंपरा का सम्मान है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है, जिसने सृष्टि के मूल में पंचतत्व के अधिष्ठान का आह्वान किया है.

किसान आंदोलन : कांग्रेस बोली - जब उद्दोगपतियों का करोड़ों का कर्ज माफ़ हो सकता है तो किसानो का क्यों नहीं

पीएम मोदी ने कहा कि ये भारत के जंगलों में बसे आदिवासी भाई-बहनों का सम्मान है,जो अपने जीवन से ज्यादा जंगलों से प्यार करते हैं, ये भारत के मछुआरों का सम्मान है, जो समंदर से उतना ही लेते हैं, जितना अर्थ उपार्जन के लिए आवश्यक होता है, ये भारत के किसानों का सम्मान है, जिनके लिए ऋतुचक्र ही जीवनचक्र है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि ये भारत की उस महान नारी का सम्मान है, जिसके लिए सदियों से पुनः उपयोग और पुनरावृत्ति, रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है, जो पौधे में भी परमात्मा का रूप देखती है, जो तुलसी की पत्तियां भी तोड़ती है, तो गिनकर, जो चींटी को भी अन्न देना पुण्य मानती है.

आज 'चैंपियंस ऑफ द अर्थ' अवार्ड से नवाज़े जाएंगे पीएम मोदी, इस वजह से उन्हें मिल रहा है ये सम्मान

पर्यावरण और संस्कृति के रिश्ते को समझाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जलवायु और आपदा का संस्कृति से सीधा रिश्ता है, जलवायु की चिंता जब तक संस्कृति का हिस्सा नहीं होती तब तक आपदा से बच पाना मुश्किल है. पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना को आज विश्व स्वीकार कर रहा है, लेकिन ये हज़ारों वर्षों से हमारी जीवन शैली का हिस्सा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि ये संवेदना है जो हमारे जीवन का हिस्सा है, पेड़-पौधों की पूजा करना, मौसम, ऋतुओं को व्रत और त्योहार के रूप में मनाना, लोरियों-लोकगाथाओं में प्रकृति से रिश्ते की बात करना, हमने प्रकृति को हमेशा सजीव माना है, सहजीव माना है. 

खबरें और भी:-

सबसे शीर्ष पर है आधुनिक भुगतान करने में, पेटीएम

बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से तीन गुना बढ़ा है स्वच्छता प्रतिशत - पीएम मोदी

सारी हदें पार कर आज इस दाम पर पहुंचे पेट्रोल-डीजल, अब होगी आम आदमी की जेब खाली

 

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -