शास्त्रों की बात को अगर अच्छे से जान लिया जाए और मान लिया जाए तो जीवन में सब अच्छा होता है। आप सभी में से बहुत से लोग होंगे जिन्होंने अपने बचपन में अपने बड़े-बूढ़ों से बहुत से ऐसी सीख पाई होगी, जो अब आप मानते भी होंगे और नहीं भी। आप सभी ने कई बार बड़े-बूढ़ों से सुना होगा कि सम्मानीय लोगों को तथा सम्मानीय वस्तुओं को कभी पैर नहीं लगाने चाहिए। जी हाँ क्योंकि इससे न केवल सामने वाले का अपमान होता है बल्कि इन्हें पैर लगाने से व्यक्ति पाप का भागीदार बन जाता है।
जी हाँ और इस बारे में अनेकों धार्मिक शास्त्रों के अलावा आचार्य चाणक्य के नीति सूत्र में भी वर्णन किया गया है। जी दरअसल चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मनुष्य जीवन के हित से जुडी कई बातें बताई हैं। कहा जाता है इनकी बातों या नीतियों को अपनाने वाला व्यक्ति अपने जीवन पर हमेशा सही मार्ग पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है। अब हम आपको बताते हैं कि आचार्य चाणक्य ने इस संदर्भ में क्या कहा है?
चाणक्य नीति श्लोक- पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरु ब्राह्मणमेव च। नैव गां न कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा।।
अर्थ- अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी, वृद्ध और शिशु इन सबको पैर से कभी नहीं छूना चाहिए। जी हाँ और इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने 7 ऐसे लोगों का जिक्र किया है जिन्हें गलती से भी पैर नहीं लगाना चाहिए, वरना मनुष्य की आने वाली पीढ़ियों तक को दोष लगता है और धीरे-धीरे उस कुल का नाश हो जाता है।
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