आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि आचार्य चाणक्य कौन है. ऐसे में चाणक्य ने सुखी और श्रेष्ठ जीवन के लिए कई नीतियां बताई हैं, जिनका आज भी अगर पालन किया जाए तो सफल बना जा सकता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं चाणक्य की एक नीति, जिसमें यह बताया गया है कि हमें किन लोगों या चीजों के बीच में से नहीं निकलना चाहिए. आइए जानते हैं.
चाणक्य कहते हैं कि- “विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:. अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्य च..“
इस श्लोक में आचार्य ने 5 ऐसे लोग और चीजें बताई हैं जिनके बीच में निकलना नहीं चाहिए… आइए जानते हैं.
दो ज्ञानी लोग - कहते हैं जब दो ब्राह्मण या ज्ञानी लोग बात कर रहे हों तो उनके बीच में से निकलना नहीं चाहिए क्योंकि एक पुरानी कहावत है ज्ञानी से ज्ञानी मिलें करें ज्ञान की बात. यानी जब दो ज्ञानी लोग मिलते हैं तो वे ज्ञान की बातें ही करते हैं इस कारण उनके बीच विघ्न नहीं उत्पन्न करना चाहिए.
ब्राह्मण और अग्नि - कहा जाता है अगर किसी स्थान पर कोई ब्राह्मण अग्नि के पास बैठा हो तो इन दोनों के बीच में से भी नहीं निकलना चाहिए क्योंकि यह बुरा हो सकता है.
मालिक और नौकर - कहा जाता है चाणक्य के अनुसार जब स्वामी और सेवक बातचीत कर रहे हों तो उनके बीच में से भी निकलना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे दोनों का संवाद टूट जाता है और आप उसके भागीदार हो जाते हैं.
पति और पत्नी - चाणक्य के अनुसार अगर किसी स्थान पर कोई पति-पत्नी खड़े हों या बैठे हों तो उनके बीच में नहीं निकलना चाहिए क्योंकि यह अनुचित माना गया है. वहीं ऐसा करने पर पति-पत्नी का एकांत भंग होता है और उनके निजी पलों में बाधा उत्पन्न हो सकती है.
हल और बैल - चाणक्य के मुताबिक हल और बैल, एक साथ दिखाई दें तो उनके बीच में से नहीं निकलना चाहिए क्योंकि अगर आप उनके बीच से निकलते हैं तो चोट लग सकती है.
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