आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में जीवन से सबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला है. इसमें उन्होंने जीवन की कुछ परेशानियों के समाधन की तरफ भी ध्यान दिलाया है. चाणक्य नीति के मुताबिक, यदि जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होना है तो जिन विषयों के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए दौड़ते फिरते हो, उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम जहर को त्याग देते हो. इसके अतिरिक्त कुछ अन्य अहम बातें भी इसमें बताई गई हैं. आज हम आपके लिए 'हिंदी साहित्य दर्पण' के साभार से लेकर आए हैं आचार्य चाणक्य की कुछ नीतियां. जीवन में इनका पालन करके लोग अपना उद्देश्य पा सकते है तथा अपना गृहस्थ जीवन सुखी बनाए रख सकते है.
जो मूल में है उसे बदला नहीं जा सकता: आचार्य चाणक्य के मुताबिक उसे कोई कैसे बदल सकता है, जो किसी के मूल में है. जिस प्रकार बसंत ऋतु क्या करेगी, यदि बांस पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या अपराध अगर उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदें चातक पक्षी की चोंच में नहीं गिरतीं. चाणक्य नीति के मुताबिक, एक दुष्ट के मन में सद्गुणों का उदय हो सकता है, यदि वह एक भक्त से सत्संग करता है. किन्तु दुष्ट का संग करने से भक्त दूषित नहीं होता. भूमि पर जो फूल गिरता है, उससे धरती सुगन्धित होती है, किन्तु पुष्प को धरती की गंध नहीं लगती.
सत्य माता है और अध्यात्मिक ज्ञान पिता: आचार्य चाणक्य के मुताबिक, सत्य मेरी माता है. अध्यात्मिक ज्ञान मेरा पिता है. धर्माचरण मेरा बंधु है. दया मेरा मित्र है. अंदर की शांति मेरी पत्नी है. क्षमा मेरा पुत्र है. मेरे परिवार में ये छह लोग है.
व्यक्ति को सदा पुण्य कर्म करने चाहिए: चाणक्य नीति के मुताबिक व्यक्ति का शरीर नश्वर है. उसे हर वक़्त अच्छे कार्य करने चाहिए. इसमें आगे कहा गया है कि धन में कोई स्थायी भाव नहीं है. मृत्यु हर दम हमारे पास है. इसीलिए हमें तत्काल पुण्य कर्म करने चाहिए.
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