कृषि कानून वापस लेने की संभावना कम, बड़े आंदोलन का सामना करने को तैयार सरकार !

कृषि कानून वापस लेने की संभावना कम, बड़े आंदोलन का सामना करने को तैयार सरकार !
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध आज 12वें दिन भी निरंतर जारी है, वहीं कल यानी 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा की गई है। इस बीच सरकार के उच्च अधिकारियों का मानना है कि सरकार द्वारा नए कानून वापस लेने की संभावनाएं कम ही हैं।

सरकारी अधिकारियों की मानें तो अन्य विकल्पों जैसे कानूनों में कुछ हद तक बदलाव के लिए सरकार तैयार है। इस मुद्दे का हल सिर्फ बातचीत के माध्यम से निकाला जा सकता है। अगर इससे भी बात नहीं बनती और किसानों का आंदोलन लंब चलता है तो सरकार उसका सामना करने के लिए भी पूरी तरह तैयार है। सरकारी अधिकारियों का ये बयान तब आया है जब सरकार ने कानून के कुछ प्रावधानों में बदलाव करने की मांग मान ली है। सरकार द्वारा किसानों को बताया गया कि वे कानूनों के कुछ प्रावधानों में बदलाव करने, MSP और खरीद पर लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार थे, किन्तु किसान प्रतिनिधियों ने तीनों कानूनों को निरस्त करने पर जोर दिया।

एक बड़े नेता कहा कहना है कि इन कानूनों का मकसद सियासत से परे आवश्यक कृषि सुधारों को लाना है। वहीं 9 दिसंबर के दौर की बैठक की तैयारी करते हुए, रविवार को, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, जोकि किसान वार्ता में सरकार की टीम की अगुवाई कर रहे हैं, ने अपने दो कर्मियों कैलाश चौधरी और परषोत्तम रूपाला के साथ बैठक की।

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