विशाखापत्तनम: विपक्षी दलों ने कोलकाता की यूनाइटेड इंडिया रैली की सफलता के मद्देनजर पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मोर्चेबंदी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले कुछ और इस तरीके के 'सियासी शो' करने का निर्णय लिया है। इस क्रम में आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में विपक्षी दलों की दूसरी बड़ी एकजुटता रैली का आयोजन करने की कवायद तेज हो गई है। ममता के बाद अब टीडीपी नेता और आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू फरवरी महीने में इस रैली का आयोजन करने वाले हैं।
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यूनाइटेड इंडिया रैली के बाद कोलकाता में एकजुट हुए तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं की अनौपचारिक बैठक में विपक्ष की साझी ताकत प्रदर्शित करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर इसी तरह की रैली करने की कवायद तेज हो गई है। टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने इस पर सबसे पहले अमरावती में रैली करने का सुझाव दिया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी देश की राजधानी में विपक्षी एकजुटता रैली करने का सुझाव दिया है, किन्तु व्यापक सहमति बनी कि पहले आंध्र के अमरावती में विपक्षी दल एकजुट हों और फिर दिल्ली के अलावा लखनऊ, पटना व बेंगलरु आदि अन्य स्थानों पर रैली चुनाव का राजनितिक माहौल के हिसाब से तय किया जाएगा।
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विपक्षी खेमे के रणनीतिकारों का मानना है कि, कोलकाता रैली के बाद पीएम मोदी सहित उनकी कैबिनेट के बड़े चेहरों और भाजपा की तरफ से गठबंधन राजनीति पर किया जा रहा हमला सत्ताधारी दल की बढ़ी चुनौती को प्रदर्शित कर रहा है। इसीलिए विपक्ष में पीएम पद के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त से लेकर गठबंधन के अराजक होने की सियासी परिभाषा भाजपा द्वारा गाढ़ी जा रही है। एकजुटता रैली के बाद विपक्ष पर किए जा रहे राजनितिक प्रहार को कांग्रेस पहले ही भाजपा की चुनावी चिंता की बेचैनी बता चुकी है।
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