केवल फ़िल्मी नहीं बल्कि हकीकत है चंद्रमुखी की कहानी, आज भी भटक रही है आत्मा...!

केवल फ़िल्मी नहीं बल्कि हकीकत है चंद्रमुखी की कहानी, आज भी भटक रही है आत्मा...!
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भूत, प्रेत, आत्मा.. जैसी चीजों में दुनिया भर के 85 प्रतिशत लोग विश्वास करते है, इस बारें में इन्ही 85 प्रतिशत लोगों का कहना है कि यदि इस मानव जीवन में भगवान है तो प्रेत भी है, और इसी के चलते लोगों के बीच डर भी देखने के लिए मिलता है. कई लोगों का कहना है कि उनके साथ कई ऐसी डरावनी घटनाएं घट चुकी है. हालाँकि इन घटनाओं पर आज भी कई लोग विश्वास नहीं करते. लेकिन इस बात को अनसुना भी तो नहीं किया जा सकता कि दुनिया में प्रेत जैसी चीजों का बजूद ही न हो. लेकिन मेरी इस बात से आज कई लोग असहमत होंगे, लेकिन वो ऐसा क्यों कर रहे है इस बारें में मैं खुद भी नहीं कह सकता है, लेकिन इतना जरूर बोल सकता हूँ कि शायद असहमति जताने वाले लोगों के साथ अब तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ होगा, खेर ये बातें तो होती रहेंगी पर आज मैं आपके लिए एक ऐसी खबर लेकर आया हूँ जिसके बारें में सुनने के बाद शायद लोग इस पर यकीन करने लग जाएं, दरअसल आप सभी ने चंद्रमुखी और उसकी तरह की कई हॉरर मूवी तो देखी ही होंगी? अब यदि मैं आपसे ये कहूं कि इनमे से कुछ फ़िल्में एकदम सत्य घटना पर आधारित है तो आप क्या अब भी इस बात से असहमत रहोगे...खेर कोई बात नहीं आज मैं आपको चंद्रमुखी के बारें में विस्तार से बताने जा रहा हूँ, कि इस महिला के बारें में जो फ़िल्में बनाई गई है वो एक तरह से सत्यघटना ही है, लेकिन फिल्मों में इसका जिक्र पूरी तरह से नहीं किया गया है, तो चलिए जानते है इसके बारें में विस्तार से खास बातें....  

आखिर कौन है नागवल्ली: चंद्रमुखी के नाम से हर घर में पहचानी जाने वाली महिला का नाम ही नागवल्ली है, नागवल्ली केरल के एक छोटे से गांव की रहने वाली थी. नागवल्ली का जन्म बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था, वो बड़े बड़े महलों में अपने नृत्य से लोगों का दिल जीत अपने घर का भरण पोषण करती थी. नागवल्ली अपने ही तरह नृत्यकार को पसंद करती थी लेकिन घर की आर्थिक मजबूरी के चलते वो इससे आगे वो कुछ भी नहीं कर सकती थी. 

कैसे राजमहल पहुंची नागवल्ली: केरला के त्रवनकोर के किंगडम में एक बहुत ही बड़ी जगह थी, जिसका नाम Alummoottil meda था, इस जगह पर एक बहुत ही प्रवल और बलशाली राजा का साम्राज्य था, हैरान करने वाली बात तो ये थी कि उस समय में भी कई शादियों का प्रचलन था और इस महल के राजा की भी 3 पत्नियां थी. इतना ही नहीं  त्रवनकोर के महाराजा के घर नौकरों की एक पूरी पल्टन रहा करती थी, इन नौकरों की संख्या इतनी थी कि किसी भी रानी को कोई भी काम करने की जरुरत नहीं होती थी, यहाँ तक कि उन्हें पानी भी उनके हाथों में ही मिल जाता था,  त्रवनकोर के महल में इन सभी लोगों का जीवन बहुत ही अच्छे से चल रहा था, लेकिन एक दिन राजा का अचानक से मन भारत के भ्रमण का हो जाता है, फिर क्या था उन्होंने बिना समय को गवाएं अपनी सेना के कुछ लोगों के साथ भ्रमण के लिए चल दिए. अब तक तो राजा ने भ्रमण में कई इलाकों को देख लिया था लेकिन उन्हें कुछ भी इंटरस्टिंग नहीं मिला, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद वह केरला के ही इलाकों में पहुंच गए जहां उन्हें एक बहुत ही खूबसूरत औरत दिखाई देती है, इस औरत की खूबसूरती को देख राजा मंत्रमुग्ध हो गए, क्यूंकि उन्होंने आज से पहले इससे खूबसूरत किसी भी महिला को नहीं देखा था, उन्होंने आस पास के लोगों से इस महिला के बारें में जानकारी एकत्रित करना शुरू कर दी. इसकी बाद उन्हें जानकारी मिली की वो महिला जितनी देखने में सुंदर थी उतना ही खूबसूरत को नृत्य भी करती थी, जिसकी वजह से उसकी सुंदरता का हर कोई दीवाना था. इतना कुछ होने के बाद राजा का मन भी इस महिला के प्यार में पड़ गया और उसी पल राजा ने इस महिला को अपनी पत्नी बनाने के बारें में सोच लिया, राजा ने बिना समय को गवाए उस महिला यानि की नागवल्ली के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया. लेकिन नागवल्ली ने राजा के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. अब आप सभी ये सोच रहें होंगे कि उसे ऐसा क्यों किया तो आपको बता दूँ की नागवल्ली तो अपना दिल किसी और को ही दे चुकी थी, और ये बात उसके साथ नृत्य करने वाले को भी पता था कि नागवल्ली उसे बहुत प्यार करती है, लेकिन राजा को इस बारें में बिलकुल भी जानकारी नहीं थी, और नागवल्ली की हिम्मत उन्हें बताने की नहीं हुई कि किस वजह से वो राजा का प्रस्ताव ठुकरा रही है. लेकिन राजा तो राजा ही थे वो भी कहा मानाने वाले थे उन्होंने तुरंत ही नागवल्ली को अपने साथ चलने के लिए कहा, मन ही मन नागवल्ली भी राजा का क्रोध देखकर घबरा गई थी कि, राजा ने तो ठान ही लिया था कि इस महिला को अपने महल की दासी बनाकर रखूंगा, लेकिन रास्ते में महल जाते वक़्त  उन्हें उसपर दया आ  गई और महल पहुंचते थी उन्होंने नागवल्ली को दासी नहीं बल्कि पूरे मान सम्मान के साथ महल की नृतकी कहकर बुलाया, ये सुन हर कोई हैरान तो हुआ लेकिन नृतकी शब्द के लिए नहीं बल्कि नागवल्ली की खूबसूरती को देखकर. 

कैसे पड़ा नागवल्ली से चंद्रमुखी नाम: उपन्यास में बताया गया है कि नागवल्ली अपने नृत्य से लोगों का दिल जीतना बहुत ही अच्छी तरह से जानती थी, ऐसा भी कहा जाता है कि नागवल्ली ने एक बड़ी प्रतियोगिता में भाग लिया था, जहां पर नागवल्ली ने अपने नृत्य से हर न सिर्फ लोगों का दिल जीता बल्कि प्रतियोगिता को भी जीत लिया, तब से ही नागवल्ली का नाम चंद्रमुखी रख दिया गया. तब से लोग उसे चंद्रमुखी कहकर पुकारने लगे. 

बढ़ने लगी थी महाराजा और नागवल्ली के बीच नजदीकियां: जैसे जैसे राजमहल में नागवल्ली को रहते दिन बिताते गए वैसे-वैसे राजा और नागवल्ली के बीच की दूरियां भी कम होने लगी थी, अब तक नागवल्ली राजा को पसंद करने लगी थी, और वो इस बारें में बखूबी जानती थी कि राजा तो उसे बहुत पहले ही पसंद कर चुका था लेकिन राजा के दिए हुए प्रस्ताव को मना करने की वजह से राजा ने उसे अपने महल में नृतकी के तौर पर रखा था. अब आप ये सोच रहे होंगे कि फिल्मों में तो कहानी  कुछ और ही बताई गई थी, लेकिन मैं बता दूँ कि फिल्मों में जो बताया गया था वो बिलकुल भी सच नहीं अब तक रिलीज़ की गई सभी फिल्मों को TRP और बॉक्स ऑफिस पर हंगामा मचाने के लिए इस तरह से दर्शाया गया था. सच्चाई तो ये है कि  नागवल्ली और राजा दोनों ही एक दूसरे को बेहद ही पसंद करने लगे थे, लेकिन प्रजा और महल की रानियों को ये बात बिलकुल भी पसंद नहीं थी कि राजा अब एक और विवाह रचाएं और यदि वो विवाह करें भी तो इस दो कौड़ी की नाचने वाली के साथ तो कतई न करें. 

रानियों की नजारगी बनी थी नागवल्ली की मौत की वजह: नागवल्ली पर लिखे गए उपन्यासों में ये साफ़ बताया गया है कि नागवल्ली और राजा के बीच संबंध तेजी से बढ़ रहे थे, जो कि उनकी बाकि कि पत्नियों को बिलकुल भी रास नहीं आया, उनमे से उनकी पहली पत्नी ने नागवल्ली से बदले की वजह बनाई, और उसे मारने की साजिश रचने लगी, और एक दिन महारानी ने छल-कपट से नागवल्ली को मौत के घाट उतार दिया. इस धोखे की मौत में नागवल्ली की आत्मा को शांति नहीं मिली और वह साये के रूप में राजमहल के साथ ही बंध गई. तमिल उपन्यास में तो ये भी कहा गया है कि नागवल्ली की आत्मा आज भी अपने बदले की भावना लिए हुए उस महल में भटक रही है. वैसे ये सारी बातें तमिल उपन्यास में दी गई है, और चंद्रमुखी का इतिहास भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है.

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