नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का मिशन चंद्रयान-3 आज यानी शुक्रवार (14 जुलाई 2023) को लॉन्च कर दिया जाएगा। लॉन्चिंग से पहले ISRO के वैज्ञानिकों ने गुरुवार (13 जुलाई) को आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में चंद्रयान-3 के लघु मॉडल के साथ पूजा-अर्चना कर भगवान बालाजी का आशीर्वाद लिया। वहीं, इस मिशन को पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने भारत के लिए गेम चेंजर करार दिया है।
यही नहीं, भारत के इस मिशन से अमेरिका को भी बहुत उम्मीदें हैं। अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि उनका देश चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग की तरफ ध्यानपूर्वक देख रहा है। उन्होंने कहा कि भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा। बता दें कि अभी तक अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ने यह कारनामा कर चुके हैं। ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा है कि, 'चंद्रयान-3 निश्चित तौर पर भारत के लिए गेम चेंजर साबित होगा और मुझे उम्मीद है कि यह कामयाब होगा। भारत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा। आइए लॉन्च की प्रतीक्षा करें और बेहतरी के लिए प्रार्थना करें।'
चंद्रयान-3 को लेकर ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा है कि इसकी सफल लैंडिंग से भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा मुल्क बन जाएगा। इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष उद्योग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में सहायता मिलेगी। बता दें कि मौजूदा समय में 600 अरब डॉलर के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष उद्योग में भारत की हिस्सेदारी महज दो फीसद है। भारत जिस रफ़्तार से इस क्षेत्र में अपने पाँव मजबूती से पसार रहा है, इससे उसकी हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। पूर्व वैज्ञानिक ने आगे कहा कि चूंकि भारत अब प्रौद्योगिकी विकास में निजी भागीदारी आमंत्रित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्राइवेट प्लेयर्स के आने से प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी एवं और ज्यादा स्टार्टअप की गुंजाइश बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि, 'कई विदेशी कंपनी भी अपने स्टार्टअप के साथ यहाँ आ सकती हैं या किसी वर्तमान में जारी स्टार्टअप से जुड़ सकती हैं।' चंद्रयान-3 की कामयाबी को भारत की अर्थव्यवस्था से जोड़ते हुए नंबी नारायणन ने कहा कि मिशन की सफलता विज्ञान के साथ ही इकॉनमी के लिए बड़ा प्रोत्साहन होगा। चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने में सफल रहा, मगर कुछ वजहों से उसकी सॉफ्ट लैंडिंग विफल हो गई थी। उन्होंने कहा कि चार वर्षों तक इसके हर पहलू पर काम किया गया है और इसकी सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद है।
नंबी नारायणन ने आगे कहा कि किसी देश के जीवित रहने के लिए स्वदेशी तौर पर विकसित प्रौद्योगिकी आवश्यक है। ISRO की प्रशंसा करते हुए पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि ISRO अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए न्यूनतम राशि का उपयोग करने के लिए जाना जाता है। अन्य देशों की तुलना में इस प्रकार के अभियानों के लिए हमारा खर्च बहुत कम है।
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