'आप' की राजनीति के जानकारों के अनुसार अब यह बात शीशे की तरह साफ हो गई है कि जिस नेता ने भी अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ कुछ कहने का साहस किया या उनसे असहमति व्यक्त की, उसे उसकी सजा भुगतनी पड़ी. अब हालात यह हो गए हैं कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए अस्तित्व में आई आम आदमी पार्टी ने आप में ऐसा बदलाव किया कि उस पर सवाल उठने लगे हैं.
आपको याद दिला दें कि दिल्ली विधानसभा 2013 का चुनाव परिणाम आने के बाद जंतर मंतर पर पार्टी के सभी विधायकों और समर्थकों को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि घमंड में कभी मत आना. अहंकार मत करना. ऐसा न हो कि जिस चीज़ को बदलने हम चले थे कहीं हम उसी का हिस्सा हो जाएं. लेकिन इस बयान के लगभग चार साल बाद अब आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल पर यह आरोप लग रहा है कि वह उसी राजनीति का हिस्सा हो गए हैं जिसे वो बदलने चले थे.
आम आदमी पार्टी के तीन राज्य सभा सीटों के लिए प्रत्याशियों चयन की प्रक्रिया ने आम आदमी पार्टी के इसी चेहरे को स्पष्ट कर दिया है . अब स्थिति यह है कि इन दिनों यह सवाल पार्टी के समर्थक और मतदाताओं में ज्यादा उछल रहा है कि आम आदमी पार्टी में आखिर ये हो क्या रहा है? इस मामले में दूसरे दल के नेता और समर्थक भी रूचि ले रहे हैं .
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