कभी-कभी हमारा भाग्य हमारे विचारों के विपरीत जाने लगता है और हम जिस भी काम में हाथ डालते है वो विफल होते जाते है. यहाँ तक की उस समय अगर आप सोने को छूते है तो वो भी मिटटी के रूप में परिवर्तित हो जाती है. कोई नया व्यापार शुरू करें या नौकरी बदलें, दोनों में असफलता ही हाथ लगती है. ऐसे कठिन समय में बहुत से लोग अपना धैर्य खो देते है और गलत कदम उठा लेते है वही कुछ लोग ऐसे भी होते जो इस अभाग्य से संघर्ष करना चाहते है और इसे दूर करने का हर संभव प्रयत्न करते है.
यह उपाय आप कभी भी किया जा सकता है पर अगर शनिवार को करते है तो बहुत अच्छा माना जाता है.इस उपाय के लिए आपको कुछ बहुत कीमती वस्तुओं की जरुरत नहीं होती है. आपके घर में उपलब्ध होने वाली चीज़े ही इसमें इस्तेमाल होती है.
उपाय : सरसों के तेल में तले हुए, गेहूं के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूएं, सात मदार (आंक) के फूल, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे के कोने पर रखें, बीच में नहीं रखना है. इस सामग्री को रखते हुए कहें – हे मेरे दुर्भाग्य, मैं तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूं, कृपया मेरा पीछा मत करना. कहकर सामान को वहां छोड़कर सीधा घर की ओर निकल आएं और पीछे मुड़कर नही देखें.
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