चाणक्यनीति में बहुत सी बातें बताई गई है और उनके द्वारा कई श्लोक भी बताए गये हैं जिनमे जिंदगी जीने का तरीका बताया गया है. ऐसे में आज हम आपको उनके द्वारा ही बताए गए एक श्लोक को बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर और समझकर आपको आनंद आ जाएगा.
चाणक्य निति का श्लोक -
दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने.
प्रीतिः साधुजने स्मय खलजने विद्वज्जने चार्जवम्.
शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तताः
इत्थं ये पुरुषा कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः
चाणक्य निति के इस श्लोक में आचार्य उन भले लगो की बात करते हुए कहा है की जो अपने लोगो से प्रेम , परायों पर दया, दुष्टों के साथ सख्ती, सज्जनों से सरलता, मूर्खों से परहेज, विद्वानों का आदर, शत्रुओं के साथ बहादुरी और गुरुजनों का सम्मान करते हैं, जिन्हें स्त्रियों से लगाव नहीं होता, ऐसे लोग हर जगह सफल होते हैं यानी महापुरुष कहे जाते है. उनके अनुसार ऐसे ही लोगो के कारन दुनिया टिकी हुयी है आचार्य का कहना है की जो व्यवहार कुशल लोग अपने भाई-बन्धुओं से प्रेम करते हैं, अन्य लोगों पर दया करते हैं, दुष्टों के साथ दुष्टता का कठोर व्यवहार करते हैं, साधुओं, विद्वानों, माता-पिता तथा गुरु का आदर करते हैं, मूर्ख लोगों से दूर ही रहते हैं, शत्रु का बहादुरी से सामना करते हैं और स्त्रियों के पीछे नहीं भागते ऐसे लोग हर समय और परिस्थिति के अनुसार आगे बढ़ते है इसलिए हमेशा सफल होते है.
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