ईश्वर के मंत्रों में इतनी ताकत होती है कि उनके मंत्रों का जप कर सिद्ध करने के पश्चात्, मंत्र के बल पर मनुष्य जिस चीज की इच्छा करता है, हफ्ते भर में पूरी होने लगती है। मंत्र जप से भूत प्रेत, चोर डाकू, राज कोप, आशंका, भय, अकाल मृत्यु, रोग तथा अनेक तरह की अड़चनों का निवारण करके मनुष्य को सदैव तेजस्वी भी बनाएं रख सकता है। यहां उन देवताओं के सिद्ध मंत्र दिये गये है जिनका जप करके बड़ी से बड़ी दिक्कतों से बाहर निकला जा सकता है।
इन मंत्रों को रोजाना एक हजार या फिर 108 की संख्या में तुलसी की माला से जपकर सुख, सौभाग्य, समृद्धि तथा ऎश्वर्य की प्राप्ति होने लगती है:-
1- गणेश गायत्री मंत्र- यह समस्त प्रकार के विघ्नों का निवारण करने में सक्षम है।
।। ॐ एक दृष्टाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्।।
2- नृसिंह गायत्री मंत्र- इस मंत्र से पुरषार्थ एवं पराक्रम की बृद्धि होती है।
।। ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।।
3- विष्णु गायत्री मंत्र- यह पारिवारिक कलह को समाप्त करता है।
।। ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।।
4- शिव गायत्री मंत्र- यह सभी तरह का कल्याण करने में अदूतीय है।
।। ॐ पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।
5- कृष्ण गायत्री मंत्र- इस मंत्र जप का कर्म क्षेत्र की सफलता हेतु आवश्यक है।
।। ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।।
6- राधा गायत्री मंत्र- यह मंत्र प्रेम का अभाव दूर होकर, पूर्णता को पहुचता है।
।। ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।।
7- लक्ष्मी गायत्री मंत्र- इस मंत्र से पद प्रतिष्ठा, यश ऐश्वर्य और धन सम्पति की प्राप्ति होती है।
।। ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
8- अग्नि गायत्री मंत्र- यह मंत्र इंद्रियों की तेजस्विता बढ़ती है।
।। ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्नि: प्रचोदयात्।।
9- इन्द्र गायत्री:- यह मंत्र दुश्मनों के हमले से बचाता है।
।। ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्र: प्रचोदयात्।।
10- दुर्गा गायत्री मंत्र- इस मंत्र से दुखः और पीड़ा नही रहती है। शत्रु नाश, विघ्नों पर विजय मिलती है।
।। ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।।
11- हनुमान गायत्री:- इस मंत्र से कर्म के प्रति निष्ठा की भावना जागृत होती हैं।।
ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।
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