छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देते हुए करें इन मंत्रों का जाप

छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देते हुए करें इन मंत्रों का जाप
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छठ पूजा का पर्व इस साल 7 नवंबर 2024 से आरम्भ होगा। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार और झारखंड में मनाया जाता है, किन्तु इसकी धूमधाम और भव्यता पूरे देश में देखी जा सकती है। हिन्दू धर्म में छठ पूजा का विशेष स्थान है, और इसे विभिन्न प्रकार की मान्यताओं और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 8 नवंबर को देर रात 12 बजकर 34 मिनट पर होगा। इस प्रकार, 7 नवंबर, बृहस्पतिवार को संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा तथा सुबह का अर्घ्य अगले दिन 8 नवंबर को दिया जाएगा। वही इस दौरान कुछ मंत्रों का जाप करना बेहद फलदायी होता है...

छठ पूजा मंत्र:-
ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

सूर्यदेव मंत्र:-
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।।

अर्घ्य मंत्र:-
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।

छठ पूजा आरती:- 
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुग्गा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।। जय।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदिति होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।। जय।।
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडरराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।
ऊ जे सुहनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।।जय।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।

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