आज विवाह पंचमी है. विवाह पंचमी पर माता सीता ने श्रीराम को पति के रूप में पाया था, इस दिन प्रभु श्री राम-सीता की पूजा कर विवाह वर्षगांठ मनाते हैं। सनातन धर्म में विवाह पंचमी का खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन राम-सीता की पूजा, उनके निमित्त पाठ करने वालों का वैवाहिक जीवन कभी परेशानी में नहीं आता। विवाह योग्य अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होता है। विवाह पंचमी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को आती है।
विवाह पंचमी पर विशेष मंत्रों का जाप:-
पीले वस्त्र धारण करें. तुलसी या चन्दन की माला से मंत्र या दोहों का यथाशक्ति जाप करें. शीघ्र विवाह या सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करें और कुछ विशेष मंत्रों का जाप करें.
1. प्रमुदित मुनिन्ह भावँरीं फेरीं। नेगसहित सब रीति निवेरीं॥
राम सीय सिर सेंदुर देहीं। सोभा कहि न जाति बिधि केहीं॥
2. पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥
बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥
3. सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
विवाह पंचमी का महत्व-
धार्मिक मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन राम-सीता की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
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