आगामी 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने हैं। इससे पहले 26 अप्रैल को बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली को इस बार पैदल न ले जाकर ऊखीमठ से वाहन के जरिए सीधे गौरीकुंड ले जाया जाएगा। जहां से 27 अप्रैल को ही केदारनाथ की डोली अपने धाम पहुंच जाएगी। यहां डोली को विश्राम दिया जाएगा। तय कार्यक्रम के अनुसार 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर मेष लग्न में मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
बाबा केदार की डोली को वाहन से सीधे गौरीकुंड ले जाए जाने की वजह से मार्ग में भक्त डोली के दर्शन नहीं कर सकेंगे।डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बुधवार को तहसील सभागार में पंचगाईं दस्तूरदारों, आचार्यगणों, ग्रामीणों, गौंडारी हक-हकूकधारियों, तीर्थ समाज के प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों के साथ केदारनाथ यात्रा और डोली के धाम प्रस्थान को लेकर चर्चा की।पहले यह था कार्यक्रम इस दौरान कोरोना संक्रमण की आशंका और शारीरिक दूरी के नियम पालन को देखते हुए बाबा केदार की डोली को सीधे गौरीकुंड ले जाए जाने का निर्णय हुआ।
आपकी जानकारी के लिए बता दें पहले जो कार्यक्रम था, उसके मुताबिक शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से प्रस्थान कर बाबा केदार की डोली को गुप्तकाशी होते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव फाटा पहुंचना था।इसके बाद 27 अप्रैल को फाटा से प्रस्थान कर डोली सीतापुर, रामपुर, सोनप्रयाग होते हुए रात्रि प्रवास के लिए गौरीकुंड पहुंचनी थी और यहां से 28 अप्रैल को गौरीकुंड से प्रस्थान कर जंगलचट्टी, भीमबली, रामबाड़ा, लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट होते हुए धाम पहुंचने का कार्यक्रम था।
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