भोपाल/ब्यूरो। मध्य प्रदेश में गोवंश के चारा प्रबंधन के लिए 'चरनोई भूमि विकास मिशन" का गठन किया जा रहा है, जो राजस्व विभाग के अंतर्गत काम करेगा। वहीं, निगरानी का जिम्मा मप्र गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड का होगा। बोर्ड ने मिशन के गठन का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। प्रस्ताव मंजूर होने के बाद प्रदेशभर में खाली चरनोई भूमि का प्रबंधन शुरू होगा। बोर्ड इस भूमि पर चारा उगाएगा और प्रदेश की 2200 गोशालाओं को देगा।
दो माह पहले बोर्ड की कार्यपरिषद की बैठक में यह मुद्दा आया था। कार्यपरिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने चारा संकट का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिशन के गठन का अनुरोध किया था। प्रस्ताव के अनुसार प्रदेश में चरनोई भूमि को चिह्नित कर अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा और उस पर नेपियर सहित विभिन्न् प्रजाति की घास उगाई जाएगी।
यदि सरकार की कोई एजेंसी घास उगाने को तैयार नहीं हुई, तो इस क्षेत्र में काम कर रहे स्वयंसेवी संगठनों को यह काम ठेके पर दिया जाएगा। इसमें ठेके का जो मूल्य तय होगा, उसकी राशि न लेकर ठेकेदार से चारा लिया जाएगा, जो वह गोशालाओं में पहुंचाएगा। ज्ञात हो कि वर्तमान में प्रदेश में 2200 गोशाला हैं। इनमें से 1665 संचालित हैं। इनमें से 627 स्वयंसेवक संगठन चला रहे हैं। परिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने बताया कि वर्तमान में 14 से 15 रुपये किलो की दर से चारा मिल रहा है। इस खर्च को कम करने के लिए मिशन का गठन जरूरी है।
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