बिलासपुर: बैगा आदिवासी बहुल गांव ठाड़पथरा जहां न तो जिला प्रशासन का शत-प्रतिशत मतदान का अभियान पहुंचता है और न ही कोई प्रशासनिक अमला ही वहां तक नज़र मार पाता है. इसके बाद भी यहां के मतदाता मतदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, तीन हजार फीट की ऊंचाई चढ़कर बैगा आदिवासी इस बार चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग करने को तैयार हैं. दरअसल, कोटा विधानसभा क्षेत्र के नक्शे में ठाड़पथरा गांव आता है, सरकारी दस्तावेजों में इसे बैगा आदिवासी गांव के रूप में दर्शाया गया है, बैगा आदिवासियों की बहुलता वाले यह गांव पहाड़ की तराई में बसा हुआ है.
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तराई में बसे गांव की श्रेणियों में यह ग्राम पंचायत का आखिरी मोहल्ला है जो पहाड़ के नीचे बसा हुआ है, पहाड़ के ऊपर स्थित ग्राम पंचायत मुख्यालय से यह गाँव तकरीबन तीन हजार फीट नीचे बसा हुआ है, तराई में बसे बैगा आदिवासी मतदाताओं की संख्या तकरीबन 155 है, घने जंगलों के बीच बसा हुआ इस गांव तक पहुँचने का कोई मार्ग नहीं है.
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बैगा आदिवासियों के इस गाँव में बुनियादी सुविधाओं का यहां पूरी तरह अभाव है, राशन सहित खाद्यान्न सामग्रियों के लिए पहाड़ी के ऊपर चढ़ना पड़ता है, सिर पर सामान लादकर तीन हजार फीट नीचे उतरना पड़ता है, इस तरह की मशक्कत बैगा आदिवासियों का रोजाना का काम है. बैगा आदिवासी बहुल गांव में मतदान कराने आने वाले मतदान दल को मुख्य मार्ग से पांच किलोमीटर पैदल चलकर यहाँ पहुंचना होगा, इसके बाद ईवीएम व अन्य सामान को लड़कर पहाड़ी पर स्थित मतदान स्थल तक भी पहुंचना होगा.
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