आज 1 नवंबर को करवा चौथ मनाई जा रही है। करवा चौथ के अवसर पर सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र की कामना से उपवास करती हैं तथा चौथ माता की पूजा करते हैं। वैसे तो करवा चौथ पर घर पर ही चौक बनाकर पूजा की जाती है मगर इस अवसर पर आप देश के सबसे पुराने और बड़े चौथ माता के मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। यह मंदिर देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। जहां करवा चौथ के अवसर पर 2 से 3 लाख महिलाएं पूजा करती हैं। करवा चौथ पर आप भी चौथ माता मंदिर के दर्शन के लिए जा सकती हैं। आइए आपको बताते हैं कहां स्थित है चौथ माता का मंदिर, और इससे जुड़ी मान्यताएं...
चौथ माता का मंदिर राजस्थान में सवाई माधोपुर के बरवाड़ा नामक नगर में पास स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1451 में कराया गया था। मंदिर हजारों फीट की ऊंचाई पर स्थित है। चौथ माता का मंदिर राजा भीम सिंह ने कराई थी। कहा जाता है कि देवी चारू माता ने स्वप्न में राजा भीमसिंह चौहान को दर्शन देकर मंदिर बनवाने का आदेश दिया था। राजा जब शिकार पर निकले तो उन्हें चौथ माता की मूर्ति मिली। जिसे लेकर वह बरवाड़ा वापस आ गए तथा पुरोहितों की सलाह से बरवाड़ा की पहाड़ की चोटी पर माघ कृष्ण चतुर्थी को मूर्ति की स्थापना की गई। प्रत्येक वर्ष इस दिन मंदिर में चौथ माता का मेला लगता है।
कहते हैं कि मंदिर में शादीशुदा जोड़ों पर खास कृपा रहती है। यहां करवा चौथ के मौके पर सुहागिन महिलाऐं अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करने आती हैं। चौथ माता देवी गौरी का ही रूप हैं। माता गौरी की पूजा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मंदिर में वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है। यह राजस्थान के 11 लोकप्रिय मंदिरों में शुमार है। यहां पहुंचने के लिए सवाई माधोपुर शहर से 35 किलोमीटर दूर बरवाड़ा नामक गांव में जाना पड़ेगा। यहां जाने के लिए निजी गाड़ी, बस या टैक्सी की सुविधा प्राप्त हो सकती है। मंदिर परिसर तक पहुंचने के लिए तकरीबन 700 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
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