राज्य में हिंदी लागू करने के तीव्र विरोध के बीच चेन्नई में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के एक अधिकारी ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को पत्र लिखा है. उनका संदर्भ उन अधिकारियों को नियोजित करने से जुड़ा था जो जीएसटी कमिश्नरेट में हिंदी सेल को नहीं जानते. सीबीआईसी के अध्यक्ष को लिखे पत्र में उन्होंने पूछा है कि केवल वही लोग हैं जो हिंदी जानते हैं और इसके प्रचार-प्रसार के लिए काम करने के इच्छुक हैं, उन्हें हिंदी सेल में तैनात किया जाना चाहिए.
नवंबर 2019 में बालमुरुगन ने हिंदी प्रकोष्ठ के सहायक आयुक्त के रूप में कार्यालय ज्वाइन किया और एक अधीक्षक (सुकुमारन), एक निरीक्षक और एक स्टाफ सदस्य है जो सेल में अपने काम में उनकी सहायता करते है. उन्होंने कहा कि हिंदी प्रकोष्ठ का काम हिंदी को केंद्रीय राजभाषा के रूप में फैलाना और इसके इस्तेमाल पर नजर रखना है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उस काम में कोई दिलचस्पी नहीं है. उनके मुताबिक, खुद समेत सेल में दो अधिकारी तमिलनाडु के हैं, अन्य दो उत्तर भारत के हैं, जिनमें हिंदी अपनी मातृभाषा है.
एक पत्र में उन्होंने लिखा है कि "यह नियम है कि हिंदी सेल में लिखी गई फाइलों और पत्रों पर लिखे नोट हिंदी में होने चाहिए और हिंदी भाषा का कम से कम 50% समय का इस्तेमाल होना जरूरी है. न तो उन्होंने, सहायक आयुक्त और न ही सुकुमारन अधीक्षक को हिंदी पढ़ना या लिखना नहीं आता. इतना ही नहीं, बल्कि फाइलों पर आधिकारिक संवाद भी आमतौर पर सेल में मौजूद अन्य दो स्टाफ सदस्यों द्वारा किया जाता है. वे यह जाने बिना भी कि क्या लिखा है उन्होंने हस्ताक्षर " किया. आईआरएस अधिकारी का यह पत्र ऐसे समय में आया है जब राज्य में हिंदी विरोधी नारों और भाषा लगाने के खिलाफ सामान्य पूर्वाग्रह वाली टी-शर्ट पहने हुए है.
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