शतरंज विश्व कप के फाइनल में भारत के रमेशबाबू प्रज्ञानंदा को दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी नार्वे के मैग्नस कार्लसन के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा है। इस पराजय के साथ ही प्रज्ञानंदा के वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना टूट गया। टाईब्रेक में पहले गेम में प्रज्ञानंदा को पराजय का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही उनके लिए वापसी बेहद मुश्किल हो गई थी। अगला गेम कार्लसन ने ड्रॉ कराया और मैच अपने नाम किया। दोनों खिलाड़ियों के बीच क्लासिकल प्रारूप में दोनों मुकाबले ड्रॉ रहे थे। ऐसे में यह मैच टाई ब्रेकर में पहुंचा तथा यहां जीत हासिल कर मैग्नस कार्लसन ने वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। अमेरिका के फैबियानो कारुआना तीसरे तथा अजरबैजान के निजात अबासोव चौथे स्थान पर रहे।
फाइनल मैच के तीसरे दिन टाई ब्रेकर में प्रज्ञानंदा सफेद मोहरों के साथ पहला गेम हार गए थे। इसके साथ ही उनकी हार तकरीबन तय हो गई थी, क्योंकि कार्लसन के खिलाफ काले मोहरों के साथ अगला गेम जीतना उनके लिए बहुत मुश्किल था। आखिर में हुआ भी ऐसा ही। कार्लसन ने सफेद मोहरों के साथ बेहद रक्षात्मक खेल दिखाया और आरम्भ से ही किलेबंदी करके समय जाया करते रहे। अंत में यह गेम ड्रॉ पर समाप्त हुआ तथा पहला गेम जीतने वाले कार्लसन ने मैच अपने नाम किया।
वही रमेशबाबू प्रज्ञानंदा एवं मैग्नस कार्लसन के बीच वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में क्लासिकल प्रारूप का पहला गेम मंगलवार को हुआ था। प्रज्ञानंदा सफेद एवं कार्लसन काले मोहरों के साथ खेल रहे थे। दोनों प्लेयर्स ने बहुत ही संयमित तरीके से यह मैच खेला। बाद में कार्लसन ने काले मोहरों के साथ यह मैच जीतने का प्रयास किया, किन्तु प्रज्ञानंदा ने बेहतरीन रक्षात्मक खेल दिखाया तथा मैच बचाने में कामयाब रहे। 35 वर्षों के पश्चात् दोनों खिलाड़ियों ने हाथ मिलाए और मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
एशिया कप 2023 से पहले कोहली ने दिखाई फिटनेस, इन नंबर्स के साथ पास किया 'यो-यो टेस्ट'
भारत के पहलवानों को बड़ा झटका, विवादों में घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ की सदस्यता निलंबित
Chess World Cup 2023: शतरंज में भी वर्ल्ड चैंपियन बनेगा भारत! इतिहास रचने के करीब आर प्रगनानंद