आस्था का महापर्व छठ आरम्भ हो चुका है. घाट सज चुके हैं. पर भीड़ से बचने के लिए लोगों ने अर्घ्य देने के लिए उपाय किए हैं. कोई घर की छत पर छठ घाट तैयार करने में जुटा है, तो कहीं घर के कैंपस में हौद बनाए गए हैं. छठ व्रती कॉलोनियों में बने अस्थाई तालाबों में भी अर्घ्य देंगे.
राजधानी के कई घरों की छतों पर बाथटब में भी छठ व्रती सूर्य को अर्घ्य देंगी. हर साल अर्घ्य देने के बाद बाथटब को अलग रख देते हैं, इससे घाट की शुद्धता भी बनी रहती है. कई अपार्टमेंट व घरों की छतों पर अर्घ्य देने के लिए स्थायी हौज बनाया गया है.कई मोहल्लों में लोगों ने छठ के लिए अपने घर के कैंपस में एक छोटा सा हौदा बनवा लिया है अब इसमें ही अपने परिवार के साथ छठ पर्व की पूजा करते हैं. छठ बीत जाने के बाद हौदे के ऊपर लकड़ी का पटरा रख देते हैं. कुछ कॉलोनियों में अस्थायी तालाब बनाया गया है.
लोगों का कहना है कि नदियों में इतनी भीड़ होती है कि ठीक से अर्घ्य नहीं दिया जा सकता. इसके अलावा नदी में नाले का पानी भी मिला होता है. छठ में स्वच्छता का विशेष महत्व है इसे देखते हुए वे घर पर ही सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
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छठ पूजा का सामजिक तथा सांस्कृतिक महत्व
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