जानिए छठ पूजा के चार दिनों का महत्त्व, दिनांक और मुहूर्त

जानिए छठ पूजा के चार दिनों का महत्त्व, दिनांक और मुहूर्त
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छठ पूजा के बारे में तो आप सभी जानते होंगे, दीपावली के 6 दिन बाद आता  है यह पर्व  सूर्यदेव की उपासना के लिए की जाती है। इस त्योहार को सबसे ज्यादा उत्तर भारत में विशेष रूप से बिहार में मनाया जाता है।छठ पूजा सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता है। छठ पूजा से घर में  सुख शांति और संपन्नता आती है।
छठ पूजा कब
छठ पूजा में उगते हुए सूर्य को और अस्त सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। साल में दो बड़े अवसरों पर सूर्यदेव की आराधना और पूजा पाठ करने की परम्परा होती है। पहला चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी और दूसरा कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को किया जाता है| छठ पूजा चार दिनों तक होती है। छठ पूजा में जो महिलाये उपवास रख कर अपने लिए छठी माता से सूर्य जैसा प्रतापी और यश को प्राप्त करने वाली संतान की प्रार्थना करती हैं।

छठ पूजा के चार दिन

छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय – महिलाये छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाय के साथ होती है। वर्ती महिलाये इस दिन स्नान कर और नये कपड़े पहनकर शाकाहारी भोजन लेते हैं। 


छठ पूजा का दूसरा दिन खरना –  दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि को सभी महिलाये व्रत रखा जाता है। इसे खरना कहा जाता है। इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है। शाम को चाव व गुड़ से खीर खाया जाता है। चावल का पिठ्ठा व घी लगी रोटी भी खाई प्रसाद के रूप में बाटी जाती है| 


छठ पूजा का तीसरा दिन सूर्य षष्ठी - तीसरे दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन बांस की टोकरी में प्रसाद और फल को सूंदर रूप में सजाया जाता हैं।यह टोकरी को लेकर सभी व्रती महिलाये सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट आदि पर जाते हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की आराधना की जाती है।

छठ पूजा का चौथा दिन समापन
छठ पूजा के चौथा दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भी पूजा और अर्घ्य दिया जाता है और प्रसाद बांट कर छठ पूजा संपन्न की जाती है।

छठ पूजा तिथि व मुहूर्त
2 नवंबर 2019
छठ पूजा के दिन सूर्योदय – सुबह 6 बजकर 33 मिनट 
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – शाम 5 बजकर 35 मिनट 

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