छठ पूजा के दौरान अनुष्ठान करते समय जरूर रखे इन चीजों का ध्यान

छठ पूजा के दौरान अनुष्ठान करते समय जरूर रखे इन चीजों का ध्यान
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छठ पूजा को सूर्य षष्ठी के तौर पर भी जाना जाता है, जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरम्भ होती है तथा कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर ख़त्म होती है। छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित है, जो सौर देवता हैं जो पृथ्वी पर जिंदगी का वरदान देते हैं। ये पर्व सूर्य देव को धन्यवाद देने तथा कुछ इच्छाओं को पूरा करने के लिए के लिए मनाया जाता है। ये प्राचीन सनातन वैदिक पर्व विशेष रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड तथा नेपाल प्रदेशों के माघई व्यक्तियों, मैथिल तथा भोजपुरी व्यक्तियों द्वारा मनाया जाता है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी के तौर पर भी जाना जाता है, जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरम्भ होती है तथा कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर ख़त्म होती है। चार दिनों तक अनुष्ठान किए जाते हैं। ये प्रथम दिन की शाम को सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आरम्भ होता है, तथा इसमें पवित्र स्नान, व्रत, पीने के पानी से परहेज करना, कुछ अनुष्ठान करने के लिए पानी में खड़े होना, डूबते हुए एवं उगते सूर्य को प्रार्थना, प्रसाद और अर्घ्य देना सम्मिलित है।

ये करें:-
* छठ पूजा का प्रथम दिन नहाय खाय है, घर की साफ-सफाई कर नहाए तथा फिर भोजन तैयार करें।
* रसियाव- दूसरे दिन रोटी होती है, शाम रसियाव में गुड़ से बनी खीर को फल तथा चपाती के साथ खाया जा सकता है।
* तीसरे दिन संध्या अर्घ्य है, बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि लेकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
* सूर्य भगवान को दूध तथा जल अर्पित करें और प्रसाद से भरे सूप से छठी मैया की आराधना करें।
* रात में व्रत कथा सुनें तथा धार्मिक गीत गाएं।
* चौथे दिन उषा अर्घ्य नदी तट पर उगते सूर्य को अर्घ्य देना है।
* पूजा के पश्चात् शरबत पीकर तथा प्रसाद खाकर व्रत का समापन करें।

न करें:-
* घर की सफाई तथा नहाने से पहले छठ पूजा की तैयारी न करें।
* छठ पूजा के दिनों में लहसुन, प्याज तथा मांसाहारी भोजन का इस्तेमाल न करें।
* प्रसाद में साधारण नमक का इस्तेमाल न करें।
* भगवान को प्रसाद चढ़ाने से पहले उसका सेवन न करें, बच्चों को भी नहीं देना चाहिए।
* बांस की पुरानी या फटी हुई टोकरी का इस्तेमाल न करें।
* किसी से नाराज न हों क्योंकि ये पर्व परिवार तथा बच्चों की शांति, समृद्धि एवं भलाई के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की मान्यता के साथ विनम्रता एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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