छठ पूजा एक प्राचीन भारतीय त्योहार है, जो आस्था, पवित्रता, प्रकृति पूजा और सामाजिक बंधनों को मजबूत करने का प्रतीक है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल के तराई क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता की आराधना करना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना है।
छठ पूजा 2024: तिथियाँ
छठ पूजा का पर्व 2024 में निम्नलिखित तिथियों पर मनाया जाएगा:
नहाय-खाय: 5 नवंबर 2024
खरना: 6 नवंबर 2024
संध्या अर्घ्य: 7 नवंबर 2024
सुबह सूर्य पूजा का अर्घ्य और पारण: 8 नवंबर 2024
इन 9 चीजों के बिना अधूरी है छठ पूजा
छठ पूजा की तैयारी में कुछ विशेष सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो पूजा के अनुष्ठान का अभिन्न हिस्सा होती हैं। आइए जानते हैं उन 9 चीजों के बारे में, जिनके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है:
डाला और सूप:
छठ पूजा की सभी सामग्रियों को विशेष बांस से बने डाला और सूप में रखा जाता है। ये बांस के डाले प्राकृतिक और शुद्ध माने जाते हैं, हालाँकि कुछ लोग धातु के डाले भी उपयोग करते हैं। इनका आकार गोल या चौकोर हो सकता है, और इनमें पूजा की अन्य सामग्रियाँ रखी जाती हैं।
नारियल:
कच्चा और सूखा नारियल छठ के डाले में रखना अनिवार्य होता है। इसकी संख्या आमतौर पर मनौती के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है। नारियल को शुभ और पवित्र माना जाता है, और यह पूजा का एक आवश्यक हिस्सा है।
गागर नींबू:
गागर नींबू छठ पूजा की एक खास पहचान है। इसका विशेष महत्व है और इसे विशेष रूप से छठ के लिए ही उगाया जाता है। ये नींबू न केवल पूजा के लिए आवश्यक होते हैं, बल्कि धार्मिक आस्था का प्रतीक भी होते हैं।
अरक पात:
अरक पात रुई से बने गोल-गोल पत्ते होते हैं, जिन्हें हर डाला और सूप में रखा जाता है। ये पत्ते न केवल पूजा का हिस्सा होते हैं, बल्कि सूर्य देव के प्रतीक माने जाते हैं। इनकी उपस्थिति से पूजा की शुद्धता बढ़ती है।
गन्ना:
गन्ना या ईंख के टुकड़े भी छठ पूजा में अनिवार्य होते हैं। हर डाले में गन्ना होना आवश्यक माना जाता है। यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक होता है।
केला:
केले का घौद या हत्था भी छठ पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे डाला में रखने से पूजा की सम्पूर्णता बढ़ती है। केले की संख्या आमतौर पर मनौती के अनुसार तय की जाती है।
पान-सुपारी:
पान और सुपारी का उपयोग व्रति द्वारा पूजा के समय किया जाता है। व्रति जब पानी में खड़े होकर सूर्य की आह्वान करती हैं, तो वे हाथ में पान-सुपारी लेकर इस अनुष्ठान को संपन्न करती हैं।
केराव:
केराव, जो देसी और जंगली मटर है, को पानी में भिगोकर फुलाकर सभी सूप और डाले में रखना एक अनिवार्य परंपरा है। यह पूजा में विशेष स्थान रखता है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
अन्य आवश्यक सामग्री
इन नौ चीजों के अलावा, छठ पूजा के डाले और सूप में कुछ अन्य सामग्री भी शामिल होती हैं, जैसे:
मूली, सुथनी, शकरकंद, अल्हुआ (मीठा आलू), सिंघारा: ये सभी सामग्रियाँ पूजा का हिस्सा होती हैं, लेकिन अगर ये उपलब्ध न हों, तो भी पूजा संपन्न की जा सकती है।
फल: सेब, नारंगी, मुसम्मी, अन्नानास, अनार आदि सभी प्रकार के फलों को चढ़ाया जाता है।
मिठाइयाँ: छठ पूजा में तीन विशेष मिठाइयाँ बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, जो हैं- चीनी पाक मिठाई, खाजा और बताशा।
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