जानवरों की दहशत भी बहुत बुरी होती है जिसका कोई भरोसा नहीं होता कि कब आ जाये और किस पर हमला कर दें. ऐसा ही एक मामला हम आपको बताने जा रहे हैं जहाँ पर किसी और का नहीं बल्कि मगरमच्छ का दहशत फैली हुई है. यहाँ पर बारिश के दिनों में बच्चे बाहर निकलने से भी डरते हैं और शाम होते ही अपने छात्रावास में लौट जाते हैं. ये कह सकते हैं बारिश के मौसम में मगरमच्छ भी कुछ ऐसे बाहर निकल आते हैं कि सभी को अपने घरों में दुबकना पड़ता है.
वैज्ञानिकों ने बनाई ऐसी मच्छरदानी जिससे नहीं होगी ये बीमारी
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के अंदरूनी इलाके लोहण्डीगुंडा के एक छात्रावास है जहाँ पर बच्चे रहा करते हैं और ये बच्चे शाम होने से इतना डरते हैं कि जैसे ही शाम होती है वैसे ही वो अपने कमरे में दुबक जाते हैं. बताया जाता है कि इस जगह को करीब 11 साल पहले नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिया था. लेकिन इन आदिवासी बच्चों में पढ़ने की इच्छा ऐसी थी कि वो इस छात्रावास में भी पढ़ने के लिए आते हैं. ये जगह किसी खंडहर की तरह दिखाई देती है. लोहण्डीगुड़ा विकासखंड मुख्यालय से करीब सौ किलोमीटर दूर ग्राम पिज्जीकोडेर के उपसरंपच कुलमन ठाकुर ने बताया कि छात्रावास जंगल के बीच है और हमेशा वन्य प्राणियों के हमले का खतरा बना रहता है.
जब घर के गार्डन से निकला बच्चे का हाथ
इस छात्रावास के पास एक इंद्रावती नदी है जहाँ से बारिश के कारण मगरमच्छ निकलर बाहर आ जाते हैं जिससे बच्चे काफी डर जाते हैं. यहां 65 बच्चे चार कमरों में रहते हैं जिसमें 14 हॉल, दो शिक्षक आवास और तीन शौचालयों को बर्बाद कर दिया गया था उसके बाद जो चार कमरे बचे उन्हें 65 बच्चों और शिक्षकों ने श्रमदान कर छह जर्जर कमरों को ठीक कर रहने और पढ़ने लायक बनाया. बच्चों ने बताया कि आए दिन भालू, जंगली सूअर, तेंदुआ यहां तक आ जाते हैं.
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