रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा में 4 अप्रैल को केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में करीब 3 गांव के लोगों ने सहायता की थी। इस तरह की बात सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। एक लोकप्रिय समाचार पत्र ने दावा किया है और सीआरपीएफ की अंदरूनी जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रकाशित किया है कि ग्रामीणों ने भोजन और आवास के लिए नक्सलियों की सहायता की थी।
ग्रामीणों ने चिंतागुफा और बुर्कापाल क्षेत्र में भी नक्सलियों की मदद की थी। हालांकि यह बात सामने आई है कि ग्रामीण नक्सलियों से डरे हुए थे। जब नक्सली घायल हो गए तो मुठभेड़ समाप्त होने के बाद उन्हें कासलपाड़ा गांव के निवासियों ने सहायता पहुंचाई और उनके उपचार में मदद की। हालांकि ग्रामीणों ने नक्सलियों की मदद करने की बात से इन्कार कर दिया है। बुराकपाल के सरपंच विजय दुला ने तो यहां तक कहा है कि हमारे गांव में हमला नहीं हुआ था।
घटना के समय गांव के लोग फसल कटाई का उत्सव बीजू पोंडम मनाने के लिए जंगलों में पहुंचे थे। नक्सलियों के हमले को इसलिए भी प्रभावी माना जा रहा है क्योंकि सीआरपीएफ का गश्ती दल कम था बल्कि संख्या में नक्सली अधिक थे। दूसरी ओर सीआरपीएफ के जवान दो टीमों और 4 - 4 के समूह में बंटे हुए थे। नक्सलियों ने इन जवानों को काफी दूर से ही निशाना बना लिया था।
ग्रामीणों को ढाल की तरह उपयोग किया गया। गौरतलब है कि यहां पर सड़क निर्माण ठीक तरह से पूरा नहीं हो पाने के कारण कई सुविधाओं का अभाव है। यहां संचार सुविधाओं की भी कमी है। सड़क निर्माण के लिए करीब साल में 18 बार टेंडरिंग हुई है अब तक केवल 10 किलोमीटर सड़क ही बन पाई है जबकि सड़क का एरिया 56 किलोमीटर लंबा है।
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