रायपुर: चुनाव को सकुशल संपन्न कराने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है। अब मतगणना ही बाकी है। जानकारी के अनुसार बता दें कि 11 दिसंबर को मतगणना होने के बाद ही अधिकारियों में छायी चुनाव की खुमारी उतर पाएगी। वहीं चुनाव आचार संहिता लागू होने के पूर्व प्रशासन की विभिन्न कार्यालयों में रूकी 50 हजार से अधिक फाइलें पेंडिंग थीं।
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यहां बता दें कि अभी कार्यालयों में अफसर हाजिरी लगाकर चले जा रहे हैं। वहीं कार्यालयों में अपने कामों की फाइलों के हाल जानने के लिए जनता की आवाजाही न के बराबर है। जैसे वे मानकर बैठे हैं, अब जो भी होगा मतगणना के बाद आने वाली नई सरकार में। इसके साथ ही चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मचारी अपनी थकान उतारने में लगे हैं। वहीं चुनाव आचार संहिता के दौरान ही अधिकारी आवेदन निपटाने के बाजए लोगों को चुनाव के बाद आने के लिए कह रहे थे। लिहाजा उनकी बातें लोगों के जेहन में बैठ चुकी है। इसमें विकास कार्यों की फाइलों की बात छोड़ दी जाए तो आय, जाति, निवास, नियमितीकरण सहित अन्य रोजमर्रा के आवेदनों का निस्तारण अभी तक नहीं हो पाया है।
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यहां बता दें कि इनमें अवैध मकानों के नियमितीकरण के प्रकरण पर ग्रहण लग सकता है। क्योंकि नई सरकार क्या निर्णय लेती है यह तो वक्त ही बताएगा। आचार संहिता से पूर्व के पेंडिंग करीब 10 हजार से अधिक आय-जाति के आवेदन डंप थे। इसके बाद इनकी संख्या में और भी बढ़ोत्तरी हुई है। इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से आवेदन जमा किए गए थे। जबकि उस दौरान भी कलेक्टर ने इसके निस्तारण में कर्मचारियों से कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए थे। लेकिन प्रशिक्षण आदि करने में ही उनका समय बीत गया। राजस्व विभाग में भी बटांकन और नक्शे के 25 हजार से अधिक प्रकरण अधर में हैं। इसकी वजह से रजिस्ट्री भी नहीं हो पा रही है। पटवारी सीमांकन और बटांकन करने के आवेदनों को प्राथमिकता के आधार पर निपटा नहीं पाए। आम नागरिक तहसीलों के चक्कर ही लगाते रह गए।
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