देश में कई रीती रिवाज माने जाते हैं, ये आज से नहीं बल्कि पिछले कई सालों से माने जाते हैं. ये हमारे लिए अजीब हो सकते हैं लेकिन उनके लिए ये अजीब नहीं होते बल्कि वो उन्हें अच्छे से निभाते हैं. ऐसे ही छत्तीसगढ़ के पंडोनगर गांव, जंगलों के बीच राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले, पंडो आदिवासी निवास करते हैं. पंडो जनजाति के रिवाज और परंपरा इनको आम लोगों से अलग करती है. इनके रिवाज भी इतने अजीब हैं कि आप सुनकर ही हैरान रह जायेंगे. आइये आपको भी बतादेते हैं.
दरअसल, इस जनजाति में कुछ रिवाज कई सवाल भी खड़े करते हैं, लेकिन इन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता. आज भी ये इलाका अंधविश्वासों की जंजीर से जकड़ा हुआ है. आपको बता दें, इस गांव में करीब 120 घर हैं. इस गांव के सभी घरों में दो दरवाजे हैं. एक दरवाजे से पुरुष प्रवेश करते हैं तो दूसरे दरवाजे से महिलाएं. पंडो नगर की इस परंपरा के पीछे भी पंडो जनजाति के लोगों का अलग ही तर्क है. दरअसल, महिलाएं दूसरे दरवाजे का उपयोग हमेशा नहीं करती हैं. महिलाओं को इस रिवाज से कोई परेशानी नहीं हैं. वे मानती हैं कि यह उनकी परंपरा उनके पूर्वजों से चली आ रही है और वे चाहती हैं यह परंपरा आगे भी चलती रहे.
इनका मानना है कि गर्भवती महिलाएं जब बच्चों को जन्म देती हैं या मासिक धर्म के समय वो अपवित्र होती हैं. इस वजह से वे घर में प्रवेश नहीं कर सकती. क्योंकि घर में उनके देवता और पूर्वज निवास करते हैं. पंडो जनजाति में यह परंपरा पिछले कई दशकों से चली आ रही है. उस दरवाजे के अंदर सिर्फ एक कमरा ही रहता है और उस कमरे में सिर्फ एक बिस्तर रहता है. इस दौरान उन महिलाओं को किसी भी बाहरी व्यक्ति से मिलने की भी इजाजत नहीं होती है और न ही वे घर के किसी भी सामान को हाथ लगा सकती हैं. एक महीने तक उन्हें यह यातना झेलनी पड़ती है. हर महीने मासिक धर्म के दिनों में भी एक सप्ताह तक उन पर यही प्रतिबंध लागू होते हैं.
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