रायपुर: सनातन धर्म के सांस्कृतिक लोकाचार को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम में, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, विष्णु देव साय ने रविवार, 11 फरवरी को ऐलान करते हुए कहा कि राज्य सरकार 14 फरवरी को "मातृ-पितृ दिवस" के रूप में मनाएगी। यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 14 फरवरी को पश्चिमी देशों में व्यापक रूप से वेलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया, "सीएम विष्णु देव साय ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ दिवस घोषित किया है।" सीएम साई ने अपनी पोस्ट में लिखा कि, ''माता-पिता की सेवा से दूजी और कोई सेवा नहीं है।"प्रदेश में हर साल 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाएगा, इसकी घोषणा करता हूं। ये सेवाभावी संस्कारी बच्चे ही छत्तीसगढ़ को विकसित बनाने की राह पर ले जाएंगे। जशपुर के कंडोरा में आयोजित मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में शामिल होकर सेवाभावी नन्हें-मुन्हे बच्चों से मिला और इस अतुलनीय कार्य के लिए उनका उत्साहवर्धन किया।''
बता दें कि, बीते कुछ दिनों से आदिवासी बहुल राज्य के पहले आदिवासी (जनजाति) मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ में भारतीय परंपरा और संस्कृति को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं, साथ ही इस बात पर भी प्रकाश डाल रहे हैं कि राज्य मिशनरियों द्वारा प्रचारित बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का शिकार रहा है। ये मिशनरियां शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति हैं।
इस बीच, इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर वर्मा ने कहा कि यह फैसला सराहनीय है और VHP इसका तहे दिल से स्वागत करती है। मीडिया से बात करते हुए, वर्मा ने कहा कि, "निश्चित रूप से यह निर्णय युवा पीढ़ी पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा, मैं यह आश्वासन नहीं दे सकता कि यह 100 प्रतिशत प्रभावी होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से अंधेरे में दीपक के रूप में काम करेगा, इसलिए हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं।"
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