तमिल नाडु के पूर्व सीएम एम् करूणानिधि का दुखद निधन, दक्षिण भारत में शोक लहर

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चेन्नई: डीएमके के प्रमुख और तमिल नाडु के मुख्यमंत्री करूणानिधि का 94 वर्ष की आयु में दुखद निधन हो गया है.  वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और चेन्नई के कावेरी अस्पताल में भर्ती थे. कुछ दिनों से उनकी हालत लगातार गिरती जा रही थी और वे पिछले 2 दिन से लाइफ सपोर्ट पर थे. करूणानिधि के निधन से पुरे दक्षिण भारत में शोक लहर है. 

एम् करूणानिधि यानि मुत्तुवेल करूणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को तिरुक्कुवलई, चेन्नई (तात्कालीन मद्रास) में हुआ था. अपने 60 साल के राजनितिक करियर में वे 5 बार तमिल नाडु के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वे 1969[4] में डीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई की मौत के बाद से इसके नेता बने और पांच बार (1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011) मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं.

करुणानिधि ने तमिल फिल्म उद्योग में एक पटकथा लेखक के रूप में अपने करियर का शुभारंभ किया, अपनी बुद्धि और भाषण कौशल के माध्यम से वे बहुत जल्द एक राजनेता बन गए. वे द्रविड़ आंदोलन से जुड़े थे और उसके समाजवादी और बुद्धिवादी आदर्शों को बढ़ावा देने वाली ऐतिहासिक और सामाजिक (सुधारवादी) कहानियां लिखने के लिए मशहूर थे. उन्होंने तमिल सिनेमा जगत का इस्तेमाल करके पराशक्ति नामक फिल्म के माध्यम से अपने राजनीतिक विचारों का प्रचार करना शुरू किया. पराशक्ति तमिल सिनेमा जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई क्योंकि इसने द्रविड़ आंदोलन की विचारधाराओं का समर्थन किया.

जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से प्रेरित होकर करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया. बाद में उन्होंने तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम नामक एक छात्र संगठन की स्थापना की जो द्रविड़ आन्दोलन का पहला छात्र विंग था. यहां उन्होंने इसके सदस्यों के लिए एक अखबार चालू किया जो डीएमके दल के आधिकारिक अखबार मुरासोली के रूप में सामने आया. कल्लाकुडी में हिंदी विरोधी विरोध प्रदर्शन में उनकी भागीदारी, तमिल राजनीति में अपनी जड़ मजबूत करने में करूणानिधि के लिए मददगार साबित होने वाला पहला प्रमुख कदम था. हालाँकि इस विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत हो गई और करूणानिधि को गिरफ्तार कर लिया गया. करूणानिधि को तिरुचिरापल्ली जिले के कुलिथालाई विधानसभा से 1957 में तमिलनाडु विधानसभा के लिए पहली बार चुना गया, वे 1961 में डीएमके कोषाध्यक्ष बने और 1962 में राज्य विधानसभा में विपक्ष के उपनेता बने और 1967 में जब डीएमके सत्ता में आई तब वे सार्वजनिक कार्य मंत्री बने. जब 1969 में अन्नादुरई की मौत हो गई तब पहली बार करूणानिधि को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनाया गया था.

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