लखनऊ: हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर बड़ा हमला बोला. प्रबुद्धजनों की गोष्ठी में मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को देश के विभाजन का प्रायश्चित करने का एक अवसर मिला था लेकिन उनकी एक नेत्री बवालियों के बीच फोटो सेशन कराने पहुंच गईं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि दूसरे दल के मुखिया कहते हैं कि नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) का फार्म नहीं भरेंगे. एनआरसी आया तो कोई जानकारी नहीं देंगे. बवाल में जेल जाने वालों को पेंशन देने की बात करने वालों का नैतिक पतन हो चुका है. भला बताइए, पेंशन की रकम क्या उनके बाप, दादा ने कमा कर रखा है कि खैरात बाटेंगे. नए कानून पर कांग्रेस, सपा ने अफवाह फैलाई, फिर हिंसा के लिए उकसाया. भाजपा के प्रबुद्ध प्रकोष्ठ की तरफ से गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में सीएए पर जागरूकता गोष्ठी कराई गई. इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. मुख्यमंत्री ने माइक संभाला तो निशाने पर विपक्ष रहा. हमलावर योगी ने कहा कि जाति, धर्म, मत और मजहब की राजनीति करने वाले विपक्ष की इस दुष्प्रवृत्ति को समझने की जरूरत है. सीएए पर गलतफहमी फैलाई गई. आगजनी और तोड़फोड़ करने वाली राष्ट्र विरोधी ताकतों से हाथ मिलाया गया.
प्रबुद्धजन अब चुप न बैठें: जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि सीएम ने कहा कि प्रबुद्ध वर्ग के लोग अब चुप न बैठें, घरों से निकलें और सीएए पर अफवाहों का पर्दाफाश करें. समाज का प्रबुद्धजन जैसा आचरण करता है लोग उसका अनुसरण करते हैं. प्रबुद्धजनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि लोगों को सही बात बताएं और एक ऐसा माहौल तैयार करें कि राष्ट्र विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.
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