Child Labour : मजदूरी के शिकंजे में जकड़ता मासूम बचपन

Child Labour : मजदूरी के शिकंजे में जकड़ता मासूम बचपन
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"बचपन", हमारी जिंदगी का सबसे हसीन और यादगार समय. इसका अनुभव कुछ ऐसा होता है, धुंधली सी यादे और कभी ना भूल सकने वाली बाते. जिन्हे बचपन बीत जाने पर याद किया जाए तो एक ऐसा अहसास होता है जिन्हे हम आज शब्दों में बयां नहीं कर सकते है. लेकिन जब कभी आज पीछे मुड़कर उन हसीन पलों को याद करते है तो दिल खुश हो जाता है. जिंदगी के इन सबसे हसीन पलों में ना किसी बात की चिंता ना किसी चीज के खोने का डर, केवल मन में उल्लास और हर पल कुछ नया करने की ललक. लेकिन हर किसी का बचपन क्या इतना सुन्दर होता है ? नहीं ना ! हम्म...क्योकि कुछ बच्चो का यह बचपन काम के बोझ के तले आखिरी सांसे ले रहा है और कुछ का ले चूका...लेकिन क्यों?

बाल मजदूरी के मायने क्या है ?

ऐसा कोई भी बच्चा जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम हो और वह अपनी जीविका के लिए काम करे बाल मजदुर कहलाता है. अमूमन बाल मजदूरी की चपेट में वे बच्चे आते है जो या तो गरीबी से जूझ रहे होते है या फिर किसी लाचारी या माता-पिता की प्रताड़ना का शिकार हो जाते है. आज विश्वभर में करीब 215 मिलियन बच्चे बाल मजूदरी का शिकार है. जिनमे से सबसे अधिक भारत में मौजूद है.

अकेली नहीं है बाल मजदूरी

आज भारत के कई बड़े शहरों के साथ ही आपको छोटे-छोटे शहरों में भी आपको कई बच्चे ऐसे मिल जाएंगे. हर गली के नुक्कड़ पर आपको कोई ना कोई राजू या मुन्नी या छोटू जैसे बच्चे मिल जाएंगे जो बाल मजदूरी की गिरफ्त हैं. ऐसा नहीं है कि ये बच्चे केवल मजदूरी कर रहे है बल्कि इन्हे कई घिनौने कृत्यों का भी सामना करना पड़ता है. एक एनजीओ का कहना है कि 53.22 प्रतिशत बच्चे ऐसे है जोकि यौन प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं. इन कृत्यों के चलते बच्चो के मन पर बहुत ही बुरा असर होता है.

चाइल्ड लेबर एक्ट

वर्ष 1986 के दौरान बाल मजदूर की इस स्थिति में सुधार के लिए सरकार के द्वारा चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया. जिसके अंतर्गत बाल मजदूरी को एक अपराध घोषित किया गया और रोजगार पाने की न्यूनतम आयु 14 वर्ष कर दी. इसके साथ ही सरकार ने नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट शुरू किया जिसका उद्देश्य बच्चों को इस आपदा से बचाना है. सरकार के द्वारा बच्चो के लिए आठवीं तक की शिक्षा को भी अनिवार्य और निशुल्क किया गया लेकिन लोगो की बेबसी और गरीबी ने कभी इस योजना को सफल नहीं होने दिया. माँ-बाप का यह कहना है कि यदि उनके बच्चे स्कूल चले जाएंगे तो आमदनी कम हो जाएगी.

सरकार को खोलनी चाहिए अब अपनी आंखे

कहा जाता है कि आज 60 मिलियन से भी अधिक बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं. और अगर यह सच है तो जरुरी है कि सरकार इस तरफ अपना रुख करे. बाल मजदूरी का मुख्य कारण गरीबी बताया जाता है. कई बच्चे ऐसे है जिन्हे एक वक़्त का खाना भी ढंग से नसीब नहीं होता है. सरकार के द्वारा बाल मजदूरी के खिलाफ कानून बना दिया गया लेकिन आज जब यही गरीब बच्चे दो वक़्त की रोटी के लिए कही जाते है तो बाल मजदुर का हवाला देकर उन्हें काम नहीं दिया जाता.

ऐसी स्थिति में जरुरी यह है कि सरकार बाल मजदूरी को जड़ से खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाए और गरीबी को खत्म करने का प्रबंध भी करे. गरीबी को खत्म करने और इन बच्चो के भविष्य को सुधारने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे. लेकिन केवल सरकार ही नहीं आम जनता को भी इस काम में सहयोग करना जरुरी है. यदि हम भी इसकी जिम्मेदारी ले तो हो सकता है भारत को जल्द ही बाल मजदूरी से मुक्त किया जा सके और बच्चो को उचित शिक्षा और उनका हक़ दिया जा सके. क्या आप तैयार है इस जिम्मेदारी के लिए.?

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